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विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा का आज से आगाज हो गया है। सिरहासार भवन में मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ डेरी गड़ाई के रस्म को पूरा किया गया।

जीवानंद हलधर-जगदलपुर। विश्व प्रसिद्ध बस्तर दशहरा का आज से आगाज हो गया है। 75 दिनों तक चलने वाले बस्तर दशहरा पर्व दूसरे प्रमुख डेरी गड़ाई की रस्म से शुरु हो गई है। हरेली अमावस्या के दिन पाट जात्रा विधान को पूरा किया गया था। आज परंपरानुसार दूसरी रस्म डेरी गड़ाई के विधान को पूरा किया गया। 

सिरहासार भवन में मंत्रोच्चार और विधि-विधान के साथ डेरी गड़ाई के रस्म को पूरा किया गया। इस विधान में सरई पेड़ की टहनी लाई जाती है। इन टहनियों की पूजा कर उन्हें पवित्र करने के बाद बनाए गढ्डे में अंडा और जीवित मोंगरी मछलियां डाली जाती है। इसके बाद टहनी को गाड़कर इस विधान को पूरा किया जाता है। 

माई दंतेश्वरी से ली जाती है रथ निर्माण की अनुमति 

बता दें कि, इस विधान के जरिए माई दंतेश्वरी से दशहरा में रथ निर्माण की प्रक्रिया को आरंभ करने की अनुमति ली जाती है। मान्यताओं के अनुसार इस रस्म से ही रथ निर्माण प्रक्रिया शुरू होता है। सिरहासार भवन में बस्तर दशहरा समिति के पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारियों के बीच आज  इस विधान को पूरा किया गया।  

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