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बस्तर में भारी बारिश की वजह से कई नदियां और नाले उफान पर हैं। जगदलपुर में इंद्रावती नदी अपने रौद्र रूप में है। चित्रकोट जलप्रपात पूरे शबाब पर है।

जीवानंद हलधर- बस्तर। छत्तीसगढ़ के बस्तर क्षेत्र में मानसून शबाब पर पहुंच चुका है। बस्तर में पिछले कुछ दिनों से जमकर बारिश हो रही है। भारी बारिश की वजह से यहां की नदियां और नाले उफान पर हैं। इसी कड़ी में जगदलपुर में इंद्रावती नदी अपने रौद्र रूप में है। वहीं भारत का नियाग्रा कहे जाने वाला चित्रकोट जलप्रपात भी पूरे शबाब पर है। इस विहंगम दृश्य को देखने के लिए हजारों पर्यटक उमड़े हुए हैं और जलप्रपात की कल- कल ध्वनि से पूरा आसमान गूंज रहा है। 

बीजापुर में भारी से गांवों का संपर्क कटा 

वहीं बीजापुर में पिछले 24 घंटो से मूसलाधार बारिश जारी है। भारी बारिश की वजह से जनजीवन अस्त- व्यस्त हो चुका है। भैरमगढ़ के कन्या छात्रवास में बाढ़ का पानी घुस गया है। जिसके बाद किसी तरह से बच्चों को रेस्क्यू कर बाहर निकाला जा रहा है। बाढ़ की चपेट में कई वार्ड आ गए हैं और नगरवासी, तहसीलदार और नगर पालिका के कर्मचारी रेस्क्यू में लगे हुए हैं। भैरमगढ़ के पास हाइवे में बाढ़ का पानी भर जाने की वजह से नेशनल हाइवे जाम हो गया है। भोपालपट्टनम के कई वार्डो में घरों के अंदर बाढ़ का पानी घुस गया है. गांवो का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है. चेरपाल नदी में बाढ़ के कारण गंगालूर मार्ग अवरुद्ध हो गया है। 

सुकमा में बाधित हुई सड़कें 

वहीं सुकमा जिले में बाढ़ का कहर जारी है, भारी बारिश की वजह से कई सड़कें बाधित हो गयी हैं। जान जोखिम में डाल कर ग्रामीण एक दूसरे के सहारे जगरगुंडा के मल्लेबाग के उफनते नाले को पार कर रहे हैं।

पर्यटकों की लग रही भीड़ 

"भारतीय नियाग्रा" के नाम से प्रसिद्ध चित्रकोट प्रपात वैसे तो प्रत्येक मौसम में दर्शनीय है। लेकिन वर्षा ऋतु में इसे देखना अधिक रोमांचकारी अनुभव होता है। वर्षा में ऊंचाई से विशाल जलराशि की गर्जना रोमांच और सिहरन पैदा कर देती है। वर्षा ऋतु में इन झरनों की ख़ूबसूरती अत्यधिक बढ़ जाती है। जुलाई- अक्टूबर का समय पर्यटकों के यहां आने के लिए उचित है। चित्रकोट जलप्रपात के आसपास घने वन विराजमान हैं। जो कि, उसकी प्राकृतिक सौंदर्यता को और बढ़ा देती है।रात में इस जगह को पूरा रोशनी के साथ प्रबुद्ध किया गया है। यहां के झरने से गिरते पानी के सौंदर्य को पर्यटक रोशनी के साथ देख सकते हैं। अलग-अलग अवसरों पर इस जलप्रपात से कम से कम तीन और अधिकतम सात धाराएँ गिरती हैं। पर्यटकों की सुरक्षा के लिए पुलिस बल तैनात किया गया है। 

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