संतोष कश्यप- अम्बिकापुर। अपने औषधीय गुणों के चलते शहद की डिमांड पूरे देश में है। औषधीय गुण होने की वज़ह से शहद कई बीमारियों के इलाज में भी मददगार है। शहद में एंटी बैक्टीरियल और एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं, जो घावों को जल्दी ठीक करने में मदद करता है। इसके अलावा, शहद में एंटीऑक्सीडेंट भी होता हैं, जो शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली को बढ़ाता है।
किसान ले रहे हैं मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण
शासन द्वारा शहद उत्पादन को बढ़ावा देने और किसानों को अतिरिक्त आमदनी का माध्यम मुहैया कराने के लिए कृषि महाविद्यालय में किसानों को मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। जिससे किसान खेती-बाड़ी के साथ-साथ शहद बेच कर अतिरिक्त मुनाफा कमा सकते हैं, अम्बिकापुर कृषि महाविद्यालय में मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण करने आए किसानों में काफी उत्साह देखने को मिला उदयपुर विकासखंड के केसगवां के किसान श्री नरेन्द्र सिंह ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि मधुमक्खी हमारे फसल की पैदावार बढ़ाने में अहम भूमिका निभाते हैं। मधुमक्खियों द्वारा परागण करने से फ़सलों की उपज बढ़ने के साथ-साथ, उनकी गुणवत्ता में भी सुधार होता है। उन्होंने बताया कि, सरकार द्वारा चलाए जा रहे अभियान से हम खेतों में मधुमक्खी पालन कर शहद बेचकर अतिरिक्त आय कमा सकते हैं।
तीन नस्लें हैं प्रचलन में
कृषि महाविद्यालय के मधुमक्खी पालन कार्यक्रम के मुख्य अन्वेषक डॉ. पीके भगत ने बताया कि, ज्यादातर 3 नस्लों की मधुमक्खियों का पालन किया जाता है। इनमें पहला है इटालियन जो कि 15 से 20 दिनों में एक पेटी में 6 से 7 किलो तक शहद का उत्पादन करती है, जिसका बाजार में 500 से 600 रुपये किलो हिसाब से बिकता है। दूसरी नस्ल है देशी ऐशियाई प्रजाति जिसे आम बोलचाल में सतघरवा मधुमक्खी कहते हैं इसका उत्पादन बहोत कम है ये 2 से 3 किलो शहद ही देती है। तीसरी नस्ल है डंक हीन मधुमक्खी, इस मधुमक्खी के शहद का उत्पादन एक पेटी में 20 दिन में मात्र 1 पाव ही होता है लेकिन इसमें औषधीय गुण भरपूर मात्रा में पाई जाती है। जिसकी वजह से बाजार में मूल्य भी काफी अधिक मिलता है।
वेल्यू एडिशन कर बढ़ाई जा रही शहद की कीमत
कृषि महाविद्यालय में तकनीकी सहायक डॉ. सचिन बताया कि, मधुमक्खी पालन में सबसे जरूरी है उनका भोजन जिसको हम बी फ्लोरा कहते हैं। उन्होंने बताया कि, भोजन में इनको पोलन और नेक्टर दोनों ही मिलना आवश्यक है। तभी शहद का निर्माण करेगी, यदि इनके भोजन नहीं मिला तो माइग्रेट हो जायेगी। मधुमक्खी पालन करने वाले किसान भाई हमेशा खेतों में फूल वाली फसलों को जरूर लगायें, तिलहन फसलो में भी पेटी लगा सकते हैं। साधारण शहद 5 से 6 सौ रुपये किलो बिकता है, लेकिन अगर इसका वेल्यू एडिशन किया जाये तो 2 हजार से 22 सौ तक में बेचा जा सकता है, जैसे आप अलग अलग तरह की फसल से फ्लोरा देकर अगर शहद इकट्ठा करते हैं तो उस फसल का स्वाद उस शहद में देखने को मिलता है, उन्होंने बताया कि जैसे सिर्फ लीची, या मुनगे या फिर टाऊ की फसल का शहद अगर अलग बाजार में बेचा जाए तो इन सबका स्वाद बिल्कुल अलग होगा है।
कृषि महाविद्यालय में होता है प्रमाणीकरण
कृषि महाविद्यालय के लैब में शहद की टेस्टिंग कर शहद किस फसल की है यह प्रमाणित जाता है। उन्होंने बताया कि कृषि महाविद्यालय में 25 किसानों का एक बैच तैयार कर प्रशिक्षण दिया जाता है। जो भी किसान मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लेना चाहते हैं, वो कृषि विज्ञान केन्द्र में संपर्क कर पंजीयन करा सकते हैं।