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छत्तीसगढ़ में सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है हरेली का त्यौहार। इसे साल का पहला त्यौहार भी कहा जाता है।

बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के समेसर स्थित शासकीय प्राथमिक शाला में हरियाली महोत्सव बड़े ही धूमधाम से मनाया गया। इस दौरान स्कूल की प्रिन्सिपल साधना साहू और दिलीप कुमार जांगड़े उपस्थित रहे।

शिक्षकों ने बच्चों को हरेली त्यौहार का महत्त्व बताते हुए कहा, कि हमारे प्रदेश में हरेली त्यौहार का विशेष महत्व है। इस त्यौहार में छत्तीसगढ़ की संस्कृति, और लोकपर्वो की झलक दिखाई देती है। हरेली पर्व के दिन पशुधन के स्वास्थ्य की रक्षा के लिए औषधियुक्त आटे की लोंदी खिलाई जाती है। 

छत्तीसगढ़ का लोकपर्व है हरेली 

हरेली छत्तीसगढ़ का लोकपर्व है, और पहला त्यौहार है। यह पर्व सावन माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाया जाता है। ग्रामीण इलाकों में इस त्यौहार को विशेष तरीके से धूम-धाम से इस त्यौहार को मनाने की परंपरा है। ग्रामीण इलाकों में किसान अपने खेतों में उपयोग होने वाले औज़ारों की पूजा करते हैं साथ ही पशुओं की पूजा करते हैं और उन्हें औषधियुक्त आटे की लोंदी खिलाते हैं। 

नीम का उगाल और गेंड़ी का विशेष महत्व

लोग अपने घरों दरवाजे में नीम की डाली लगाते है। इस दिन गांवों में कई प्रकार के पारंपरिक खेलों का आयोजन किया जाता है। इस त्यौहार में विशेष रूप से बांस के गेड़ी बनाई जाती है जिस पर बच्चे युवा चढ़कर टोली बनाकर घूमते हैं। गेंडी दौड़ का भी आयोजन किया जाता है।

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