बेमेतरा। छत्तीसगढ़ के बेमेतरा जिले के प्रशिक्षण संस्थान डाइट में शिक्षकों के लिए तीन दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया। यह प्रशिक्षण दो विकास खंडों बेमेतरा और बेरला के शिक्षकों का कक्षा छठवीं से आठवीं तक के गणित विषय पर किया है। इसकी शुरूवात 3 अक्टूबर से हो गई है। यह 5 अक्टूबर तक चलेगा। इस प्रशिक्षण में मिडिल स्कूल में गणित अध्यापन कराने वाले 120 शिक्षकों को आमंत्रित किया गया है।
प्रशिक्षण के पहले दिवस की शुरुआत मां सरस्वती की पूजा अर्चना और वंदना के साथ किया गया। सर्वप्रथम प्रशिक्षण कार्यक्रम के प्रभारी राजकुमार वर्मा ने गणित विषय प्रशिक्षण की तीन दिवसीय रूपरेखा के बारे में विस्तार से चर्चा की। डाइट के प्राचार्य जे के घृतलहरे ने प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि, गणित सबके लिए कठिन विषय नहीं होता। छात्रों की रुचि और समझ के अनुरूप होता है। इसे बहुत आसान और सरल भी बनाया जा सकता है।
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गणित संरचना, क्रम और संबंध का विज्ञान है
डाइट के प्राचार्य ने गणित की परिभाषा बताते हुए कहा कि, गणित संरचना, क्रम और संबंध का विज्ञान है, जो वस्तुओं की गिनती, माप और आकृतियों का वर्णन करता है। उन्होंने ने बताया कि, गणित शब्द ग्रीक भाषा के शब्द मैथेमेटिक्स से लिया गया है। जिसका अर्थ होता है सीखना। हिंदी में इसे गणित कहते हैं। इसे केटेगरी के हिसाब से बोडमास भी कहते हैं। इसके अंतर्गत छोटा कोष्टक, बड़ा कोष्टक, सर्पाकार कोष्टक, वर्गमूल, भाग, गुना, जोड़, ऋण सभी आ जाते हैं। गणित का पिता या जनक आर्किमिडीज को कहा जाता है। जबकि भारत का प्रथम गणितज्ञ के रूप में आर्यभट्ट को जाना जाता है। गणित मुख्यतः तीन प्रकार के होते हैं अंकगणित, बीजगणित और रेखा गणित। इसी तरह से गणित में चार प्रकार के कोष्टक पाये जाते हैं। रेखा कोष्टक, छोटा कोष्टक, सर्पाकार कोष्टक और बड़ा कोष्टक। इन सब का उपयोग बोडमास के नियम में किया जाता है।
सीखने-सिखाने का एक सशक्त माध्यम है प्रशिक्षण
गणित विषय की उपयोगिता को बताते हुए उन्होंने कहा कि, गणित विषय के बच्चे आगे पीइटी, पीएमटी, पीएटी कर सकते है। बच्चे आगे चलकर इंजीनियरिंग की तैयारी कर इंजीनियर बनते हैं या गणितज्ञ के रूप में हो जाते हैं। प्रशिक्षण कोई जादूई पिटारा नहीं है। बल्कि यह सीखने का एक सशक्त माध्यम है। डाइट प्राचार्य ने कहा कि, जो गणित विषय पड़ता है वह स्वयं ही आत्मनिर्भर हो जाता है। हमें चुनौती को स्वीकार करना चाहिए जीवन में बहुत सारी चुनौतियां आती है। उससे हमें घबराना नहीं चाहिए। इस प्रशिक्षण से आप जो कुछ भी सीखेंगे, उसे अपने विद्यालय में 100:5 लागू करने का प्रयास करेंगे। अपने विद्यालय में आप बच्चों के लिए बेहतर से बेहतर कार्य करने का प्रयास करें।
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आसान तरीकों से बच्चों को सिखाएं गणित
मास्टर ट्रेनर्स नीलिमा साहू ने बताया कि, प्रकृति संख्या, पूर्ण संख्या, पूर्णांक एवं परिमेय संख्या को उदाहरण सहित स्पष्ट करते हुए प्रतिभागियों को सरल शब्दों में बताया कि, गणित के कठिन से कठिन सवालों को हल करने के लिए सरल विधियों द्वारा अच्छे ढंग से बताया गया है। जो छात्र-छात्राओं के प्रतियोगी परीक्षा के लिए बहुत ही आसान तरीका साबित होगा। मास्टर ट्रेनर्स अशोक कुमार साहू के द्वारा गणित के सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी से प्रतिभागियों का आकलन किया गया। अवतल बहुभुज के संबंध में कम से कम एक अंतः कोण 180 अंश से अधिक होने पर स्पष्ट रूप से प्रस्तुत कर जानकारी दी गई।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के बारे में जानकारी दी
अजीम प्रेमजी फाउंडेशन के रिसोर्स पर्सन स्वरूपा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर चर्चा करते हुए बताया कि, एनसीएफ एफएस और एनसीएफ एसई के संबंध में विस्तार जानकारी दी। इस नीति के अध्यापन व्यवस्था से छात्रों की बौद्धिक विकास में निश्चित रूप से वृद्धि होगी। प्रतिभागियों को समूह में बांटकर गतिविधियां भी कराई गई। प्रतिभागी शिक्षकों ने बताया कि, गिनती के लिए जिस संख्या का हम उपयोग करते हैं वह प्राकृत संख्या है। दूसरे समूह द्वारा सम विषम संख्या पर चर्चा करते हुए छात्रों को सम संख्या को समझने के लिए दो -दो के जोड़े बनाकर स्पष्ट करने की बात को उदाहरण सहित बताया गया है। जोड़े नहीं बनने पर विषम संख्या बताया गया। प्रशिक्षण के पहले दिवस का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।