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केंद्र सरकार द्वारा लोगों को सस्ते दाम पर दाल,आटा और चावल उपलब्ध कराने की दिशा में भारत ब्रांड लांच किया गया है। 

राजनांदगांव। केंद्र सरकार द्वारा पूरे देशभर में 29 रुपए किलो की दर पर शुरू की गई भारत ब्रांड चावल की बिक्री का फायदा धान के कटोरा कहे जाने वाले छत्तीसगढ़ के लोगों को नहीं मिल पाया है। राज्य में 52 हजार मीट्रिक टन चावल का एफसीआई से उठाव हो गया है लेकिन राज्य के गांव और शहर के लोगों तक पहुंचने की बजाए राईस मिलों में डंप कर दिया गया है। हरिभूमि द्वारा इस मामले का पर्दाफाश किए जाने के बाद खलबली मची है। नाफेड ने मामले में जांच के आदेश भी जारी कर दिए है।

उल्लेखनीय है कि, केंद्र सरकार द्वारा लोगों को सस्ते दाम पर दाल,आटा और चावल उपलब्ध कराने की दिशा में भारत ब्रांड लांच किया गया है। इस योजना के तहत राज्य में सस्ते दामों पर दाल और आटे की बिक्री हो रही है लेकिन चावल आम लोगो से दूर कर दिया गया है। बताया जाता है कि केंद्र सरकार से भारत ब्रांड चावल की सप्लाई का काम राज्य के पांच राईस मिलरों को मिला था। लोकसभा चुनाव के दौरान अप्रैल और मई माह में ही एफसीआई से मिलर्स ने चावल का शत प्रतिशत उठाव कर लिया था। इन मिलर्स को दस दस किलो की पैकिंग कर इसे बाजार में बेचना था लेकिन दो माह बीत जाने के बाद भी लोगो को 29 रुपए किलो में चावल नहीं मिल सका है।

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सूत्रों ने बताया कि, एक सिडिकेट ने इस चावल की जमकर अफरातफरी कर दी है। चावल को कस्टम मिलिंग में खपाया भी जा रहा है। यहीं नहीं भारत ब्रांड चावल छत्तीसगढ़  के अलावा पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र की राईस मिलों  में भी डंप करा दिया गया है। हरिभूमि ने जब इस मामले का पर्दाफाश किया तब नाफेड ने जांच के आदेश जारी कर दिए है। नाफेड के अफसरों का कहना है कि उठाव के बाद चावल कितने उपभोक्ताओं तक पहुंचा इस बात की पड़ताल की जा रही है।

शासन ने शुरू की पड़ताल

हरिभूमि में समाचार के प्रकाशन के बाद राज्य के खाद्य महकमे ने भी इसकी जांच पड़ताल शुरू कर दी है। बताया जाता है कि राज्य के सांसदों ने भी शासन को पत्र लिखकर इस मामले में जांच कराने का आग्रह किया है।

200 करोड़ के चावल की अफरा तफरी

प्रदेश में करीब 200 करोड़ रुपए के भारत ब्रांड चावल की अफरा तफरी की गई है। एफसीआई से दो से तीन माह पहले उठाव किए जाने के बाद भी बाजार में अभी तक इसकी बिक्री शुरू नहीं हो सकी है।

पता लगाया जा रहा

नाफेड के राज्य प्रमुख संजय सिंह ने बताया कि, इस मामले में इस बात की जांच कराई जा रही है कि दस किलो की पैकिंग के बाद ठेकेदारो ने कितने उपभोक्ताओं को चावल उपलब्ध कराया है। उन्हें यह भी कहा गया है कि शीघ्र इसकी सप्लाई शुरू करे।

 

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