Logo
राजधानी रायपुर के भाठागांव स्थित चारागाह की 67 एकड़ जमीन पर कब्जे के विरोध में गांव वालों के आंदोलन करने के बाद रायपुर तहसील द्वारा इस मामले की जांच की जा रही है।

रायपुर। राजधानी रायपुर के भाठागांव स्थित चारागाह की 67 एकड़ जमीन की हेराफेरी करने के मामले में एक नया मोड़ देखा जा रहा है। जमीन पर कब्जे के विरोध में गांव वालों के आंदोलन करने के बाद रायपुर तहसील द्वारा इस मामले की जांच की जा रही है। जांच के दौरान अधिकारियों द्वारा यह स्वीकार भी किया जा रहा है कि पुरान रिकार्ड के अनुसार यह जमीन 173 किसानों के नाम पर दर्ज थी, लेकिन बाद में रिकार्ड दुरुस्तीकरण कराते हुए चार किसानों ने जमीन का बंटवारा करते हुए अपने नाम करा ली है। 

बता दें कि, अब जब पूरे गांव ने जमीन पर कब्जा को लेकर एक साथ आवाज बुलंद की, तो तहसील अधिकारियों ने किसानों के नाम दोबारा जोड़ने के लिए गांव के लोगों को ही 169 किसानों के वंशावली रिकार्ड खोजने का फरमान जारी कर दिया है। हालांकि एसडीएम रायपुर द्वारा इस तरह का कोई भी फरमान जारी करने से इनकार किया गया है, जबकि दूसरी ओर ग्रामीणों का कहना है कि क्षेत्र के तहसीलदार ने ही वंशावली रिकार्ड ढूंढकर लाने के लिए कहा है। उनके कहने पर ही गांव वाले अब वंशावली रिकार्ड ढूंढ रहे हैं।

अरबों की जमीन का 4 करोड़ में सौदा 

67 एकड़ चारागाह की भूमि में 4 एकड़ में स्वामी आत्मानंद बिन्नी बाई सोनकर स्कूल बना हुआ है, वहीं शेष 63 एकड़ जमीन अभी खाली पड़ी हुई है। इस जमीन को अपने नाम कराने के बाद चारों किसानों ने एक जमीन कारोबारी से सौदा किया था। सूत्रों के अनुसार सौदा करीब 4 करोड़ में हुआ था, जबकि जमीन की कीमत अरबों में है। सौदा होने के साथ भूमि की पॉवर ऑफ अटॉर्नी भी उसके नाम पर कर दी गई थी। 

तत्कालीन तहसीलदार-पटवारी पर गिर सकती है गाज

ग्रामीणों ने आशंका जताई है कि पुराने रिकार्ड से 169 किसानों के नाम हटाकर 4 किसानों के नाम किए जाने का पुरा खेल तहसील कार्यालय से ही हुआ है। तत्कालीन पटवारी और तहसीलदार के द्वारा ही यह रिकार्ड सुधारा गया है। अगर रिकार्ड से छेड़‌छाड़ नहीं होता तो चार किसानों के नाम पर भी जमीन की रजिस्ट्री नहीं हो पाती। ग्रामीणों का कहना है कि रिकार्ड में किए गए छेड़छाड़ का परिणाम ही है कि चारागाह की जमीन पर भू-माफिया का कब्जा है।

जांच की जा रही

रायपुर के एसडीएम नंदकुमार चौबे ने बताया कि,  रिकार्ड से 169 किसानों के नाग कैसे हट गए, कहा गड़बड़ी हुई है, इसके लिए कौन जिम्मेदार है, इसकी जांच की जा रही है। रिकार्ड के अनुसार किसानों के सभी नाम पुनः गोड़े जाएगे। गांव वालों को वंशावली रिकार्ड ढूंढने के लिए कोई आदेश नहीं दिया है। 

5379487