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राजश्री सद्भावना समिति वाले आलीशान भवन और कब्जे वाली जमीन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। जमीन सोसाइटी की थी तो नगर निगम ने करोड़ों रुपए निजी जमीन पर कैसे स्वीकृत किए।

रायपुर। राजधानी के शताब्दि नगर में करीब 15 हजार वर्गफीट जमीन पर पूर्व मंत्री डॉ. शिव डहरिया की पत्नी शकुन डहरिया की संस्था राजश्री सद्भावना समिति वाले आलीशान भवन और कब्जे वाली जमीन को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है। राजस्व विभाग के विक्रय विलेख में साल 2022 में केंद्रीय कर्मचारी गृह निर्माण समिति मर्यादित ने राजश्री सद्भावना समिति और अध्यक्ष शकुन डहरिया को केवल 4 लाख रुपए कीमत और 25 हजार रुपए स्टांप ड्यूटी में जमीन बेची और इसकी रजिस्ट्री समिति की अध्यक्ष सीएस ठाकुर ने कराई, जबकि पूर्व मंत्री शिव डहरिया ने कहा था कि नगर निगम के मेयर इन काउंसिल से स्वीकृति थी।

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दरअसल, शताब्दि नगर में गरीबों के हिस्से की जमीन पर सामुदायिक भवन निर्माण और उससे लगी सरकारी जमीन पर कब्जा को लेकर गुरुवार को एक बड़ा खुलासा सामने आया है। सूत्रों के मुताबिक करीब 15 हजार वर्गफीट बेशकीमती जमीन को लेकर राजस्व विभाग के विक्रय विलेख में यह खुलासा हो रहा है, 2 साल पूर्व केंद्रीय गृह निर्माण समिति मर्यादित ने शकुन डहरिया की संस्था के नाम से जमीन की रजिस्ट्री की। सवाल ये है कि अगर यह जमीन नगर निगम में ईडब्लूएस कोटे की थी, तो सोसाइटी ने यह जमीन कैसे बेच दी? दूसरा ज्वलंत सवाल ये है कि अगर जमीन निजी थी, तो पूर्व मंत्री ने ये क्यों कहा कि नगर निगम की एमआईसी से मिली थी जमीन। चौंकाने वाली बात ये है कि यदि संबंधित जमीन सोसाइटी की थी, तो नगर निगम ने करोड़ों रुपए कैसे निजी जमीन पर स्वीकृत कर दिए? बताते चलें कि निगम से मिले दस्तावेजों में यह स्पष्ट है, जमीन आवंटन के बाद 50 लाख रुपए की सामग्री भी स्वीकृत की गई।

एमआईसी में 3500 वर्गफीट जमीन आवंटन का आया था प्रस्ताव

■ 16 जून 2022 को महापौर एजाज ढेबर की अध्यक्षता वाले मेयर इन काउंसिल की बैठक में 3500 वर्गफीट जमीन को राजश्री सद्भावना समिति को आवंटित करने का प्रस्ताव लाया गया। अगर यह जमीन निजी रही, तो नगर निगम की एमआईसी में इस आशय का प्रस्ताव क्यों आया?

■ 7 नवंबर और 20 दिसंबर को नगर निगम से अशोका मिलेनियम स्थित ए एंड ए वेंचर्स एजेंसी से सोनी कंपनी की 75 इंच, 55 और 65 इंच की टीवी, वाशिंग मशीन, दर्जनभर महंगी आलमारी सहित 30 लाख के होम एप्लायेंस खरीदने निविदा को स्वीकृति दी गई। यदि ये जमीन निजी है, तो नगर निगम ने वहां लाखों रुपए की सामग्री क्यों लगवाई?

■ इस मामले एक बड़ा सवाल ये है कि पूर्व मंत्री की पत्नी ने सोसाइटी से 3500 वर्गफीट जमीन खरीदी, पर 12 हजार वर्गफीट जमीन पर 20 फीट की ऊंची दीवार उठाकर आम जनता के लिए आवाजाही क्यों बंद की गई?

■ कब्जे वाले परिसर में लगा बिजली विभाग का ट्रांसफार्मर किसके आदेश पर बंद किया गया? हैरानी की बात ये है कि अगर यह जमीन राजश्री सुद्भावना समिति की थी, तो निगम के नोटिस पर कब्जा खाली क्यों हो गया? इसका विरोध न होना भी कई सवालों को जन्म देता है।

■ नगर निगम की तीन सदस्यीय जांच समिति इस मामले की जांच कर रही है। 10 दिन में इसका प्रतिवेदन सौंपा जाएगा। जांच रिपोर्ट को लेकर लोगों की उत्सुकता बनी हुई है।

■ पदाधिकारियों ने कहा : जमीन सोसाइटी की हैसोसाइटी के पदाधिकारियों का कहना है कि इस मामले में कोई गड़बड़ी नहीं है। जमीन सोसाइटी की है, सोसाइटी ने प्रस्ताव पारित कर यह जमीन शकुन डहरिया को बेची थी, जो केंद्रीय कर्मचारी गृह निर्माण समिति मर्यादित की सदस्य है।

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