Logo
बुधवार की सुबह छत्तीसगढ़ और तेलंगाना की सीमा पर जीपीएस ट्रैकर और कैमरे से लैस गिद्ध मिलने से सनसनी फैल गई। बाद में पता चला कि, यह गिद्ध मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व से भटककर यहां पहुंचा था।

महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले और तेलंगाना सीमा के इंद्रावती टायगर रिजर्व बीजापुर से सटे सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र गांव चेरला में एक गिद्ध जीपीएस ट्रैकर और कैमरे से लैस मिला है। ग्रामीणों ने उसे खाना खिलाकर छोड़ दिया। ये गिद्ध मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व का बताया गया है।

बताया जा रहा है कि, मध्यप्रदेश के पन्ना टाइगर रिजर्व के लगभग दो दर्जन गिद्धों की गतिविधियों को वैज्ञानिक रूप से निगरानी करने के लिए लगभग दो साल पहले जीपीएस से टैग किया गया है। जिन 25 गिद्धों को टैग किया है, उनमें 13 भारतीय गिद्ध, आठ हिमालय के ग्रिफॉन गिद्ध, दो यूरेसियन ग्रिफॉन गिद्ध और दो किंग गिद्ध शामिल हैं। इसमें से एक गिद्ध भटक या थकान की वजह से चेरला गांव में उतर गया होगा। गिद्ध की जानकारी के लिए वन विभाग ने तेलंगाना एवं बीजापुर से टीम गठित कर भेजा है। 

गिद्ध को ग्रामीणों ने दिया खाना
उल्लेखनीय है कि, बुधवार की सुबह जीपीएस ट्रैकर और कैमरे से लैस एक गिद्ध ग्रामीणों को मिलने की जानकारी सामने आई थी। चेरला इलाके में एकलव्य स्कूल के पास गिद्ध ग्रामीणों के घर के पास उतरा था। ग्रामीणों ने करीब जाकर देखा तो गिद्ध जीपीएस ट्रैकर और कैमरे से लैस था। ग्रामीणों ने थके हुए गिद्ध को मांस के टुकड़े और रोटी खिलाने के बाद छोड़ दिया। ग्रामीणों ने बताया कि उक्त गिद्ध अब फिर से जीपीएस ट्रैकर और कैमरे से लैस आसमान पर उड़ान भर रहा है। नक्सल प्रभावित इलाके में तेलंगाना और बीजापुर की सीमा पर जीपीएस ट्रैकर और कैमरे से लैस गिद्ध का मिलने से कई संदेह पैदा हो रहे थे। 

यहां बना है गिद्धों के लिए रेस्टारेंट
टाइगर रिजर्व बीजापुर के उप निदेशक के अनुसार तीसरी प्रजाति आई ग्रीफॉन गिद्ध यह प्रजाति प्रवासी होती है, लेकिन संरक्षण के चलते प्रजाति भी रहवासी हो गई है। हालांकि बीजापुर में 3 विलुप्त प्रजाति इंडियन वॉल्चर, व्हाइट रम्पेड वॉल्चर एवं ग्रीफॉन वॉल्चर के गिद्धों की पुष्टि भोपालपटनम के बामनपुर ग्राम के सकलनारायण पहाड़ के पिछले हिस्से के गद्दलसरी गुट्टा इलाके में की गईं थी। इनकी अनुमानित संख्या 140 थी। पर वर्तमान में इसकी संख्या बढ़कर लगभग 205 बताई जा रही है। गिद्धों के भोजन के लिए मद्देड़ से लगभग 12 किमी दूर सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जंगल में रेस्टोरेंट बनाया गया है, बांस एवं बल्ली से बाउंड्री बनाया गया है। आसपास के गांवों के ग्रामीण मवेशियों के मरने के बाद यहां पहुंचा देते हैं, जिससे गिद्ध मरे हुए मवेशियों को खाते हैं।

इसे भी पढ़ें...भाटापारा के पास दिखा तेंदुआ : खेत गए ग्रामीण ने अचानक सामने देखा तो बना लिया वीडियो, इलाके में दहशत

टीम गठित कर स्थल में भेजा
इंद्रावती टायगर रिजर्व के सीसीएफ आरसी दुग्गा एवं रिजर्व बीजापुर के उप निदेशक संदीप बलगा ने बताया कि चेरला गांव में उतरा जीपीएस वाले गिद्ध की जानकारी होने की सूचना पर बीजापुर और तेलंगाना से टीम गठित कर भेजा गया है।

एमपी में गिद्धों की कैप्टिव ब्रीडिंग
बताया जा रहा है कि, एमपी के पन्ना टायगर रिजर्व में गिद्धों के संरक्षण के लिए उचित वातावरण के कारण वन विभाग उत्साहित है। यह ऐसी प्रक्रिया होती है जिसमें नियंत्रित वातावरण में जानवरों की प्रजनन प्रक्रिया संपन्न कराई जाती है। कैप्टिव ब्रीडिंग से जन्म लेने वाली नई पीढ़ी को उस स्थान पर छोड़ दिया जाता है, जहां इनके प्राकृतिक रहवास के साथ भोजन और दूसरी परिस्थितियां मुफीद होती हैं। वन विभाग ने कैप्टिव ब्रीडिंग के साथ-साथ गिद्धों के प्राकृतिक आवास में व्यवस्थाओं की तैयारी भी शुरू कर दी है।

jindal steel jindal logo
5379487