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हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि डॉक्टर द्वारा मरीज को बयान देने के लिए फिट घोषित करने के बाद कार्यकारी मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में दर्ज मृत्यु पूर्व बयान को साक्ष्य के रूप में माना जा सकता है।

बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने हत्या के एक मामले में दो आरोपियों की सजा को बरकरार रखा है। हाईकोर्ट ने फैसले में कहा कि डॉक्टर द्वारा मरीज को बयान देने के लिए फिट घोषित करने के बाद कार्यकारी मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में दर्ज मृत्यु पूर्व बयान को साक्ष्य के रूप में माना जा सकता है। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने 15 जुलाई 2024 को सुनाए गए अपने फैसले में दोनों आरोपियों अजय वर्मा और अमनचंद रौतिया द्वारा दायर आपराधिक अपीलों को खारिज करते हुए यह फैसला सुनाया।

याचिका के मुताबिक यह मामला बलौदाबाजार-भाटापारा जिले के मल्दी गांव में 16-17 अगस्त, 2020 को 18 वर्षीय गंगा यादव की हत्या से संबंधित है। अभियोजन पक्ष के अनुसार आरोपी अजय वर्मा, जो गंगा के साथ रिश्ते में था, ने उसे आधी रात को सामुदायिक भवन के पास मिलने के लिए बुलाया। वहां, उसने कथित तौर पर उस पर मिट्टी का तेल डाला और बहस के बाद उसे आग लगा दी। गंगा 96 प्रतिशत जल गई और उसे रायपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया। दम तोड़ने से पहले उसने 18 अगस्त, 2020 को एक कार्यकारी मजिस्ट्रेट को मृत्युपूर्व बयान दिया। इसमें अजय वर्मा को अपराधी बताया गया।

मजिस्ट्रेट और डाक्टर की मौजूदगी में बयान

हाईकोर्ट ने अपने फैसले में मृत्यु पूर्व कथन पर महत्वपूर्ण टिप्पणी की है। इसके मुताबिक "यदि मृत्यु पूर्व कथन कार्यकारी मजिस्ट्रेट की उपस्थिति में दर्ज किया गया है, जिसके बाद डॉक्टर ने मरीज को बयान देने के लिए फिट माना है, तो उस पर भरोसा किया जा सकता है।" कोर्ट ने कहा है कि डॉ. दीपिका सिन्हा (गवाह-6) ने कार्यकारी मजिस्ट्रेट अंजलि शर्मा (गवाह-13) द्वारा कथन दर्ज किए जाने से पहले और बाद में पीड़िता को बयान देने के लिए फिट प्रमाणित किया था। कोर्ट ने कहा है कि "हमारा यह मानना है कि ट्रायल कोर्ट ने सही ढंग से माना है कि अपीलकर्ता अजय वर्मा ही मुख्य अपराधी है। साथ ही गीता यादव (मृतका) द्वारा कार्यकारी मजिस्ट्रेट अंजलि शर्मा के समक्ष दिए गए मृत्युपूर्व कथन से भी यही साबित होता है। 

रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत उपलब्ध

हाईकोर्ट ने आरोपियों और बचाव पक्ष की दलीलों को खारिज करते हुए कहा है कि "यह मानने के लिए रिकॉर्ड पर पर्याप्त सबूत उपलब्ध हैं कि गीता यादव (मृतक) द्वारा मृत्युपूर्व कथन दिया गया है और उसका मृत्यूपूर्व कथन सत्य और है। इसके साथ ही पुष्टिकारक साक्ष्य के आधार पर न्यायालय ने कहा कि "मामले में आरोपी अजय वर्मा के ज्ञापन कथन के आधार पर मोबाइल फोन की जब्ती तथा अमनचंद रौतिया के ज्ञापन कथन के आधार पर घटनास्थल के निकट भवन से मिट्टी के तेल की खाली बोतल, मृतक गंगा यादव की लाल चप्पल तथा घटनास्थल की सफाई में प्रयुक्त काली फुलशर्ट की जब्ती अभियोजन पक्ष के गवाहों के साक्ष्य से सिद्ध हुई है।" 

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