रायपुर। माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा दसवीं-बारहवीं कक्षा की मेरिट लिस्ट अब जारी नहीं की जाएगी। यह व्यवस्था मौजूदा शैक्षणिक सत्र से ही लागू किए जाने पर विचार चल रहा है। यह नई व्यवस्था शुरुआती है, चरणों में है , अर्थात इस पर विचार-विमर्श मर्श अभी प्रारंभ हुआ है। समिति की बैठक में मंजूरी मिलने के बाद इसे उच्च स्तर पर भेजा जाएगा। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। फिलहाल माशिम अपने पड़ोसी राज्यों को खत लिखने की तैयारी कर रहा है। पड़ोसी राज्यों के शिक्षा मंडल को खत लिखकर पूछा जाएगा कि उनके यहां प्रावीण्य सूची के संदर्भ में कौन सी व्यवस्था अपनाई गई है?
पड़ोसी राज्यों की व्यवस्था के निरीक्षण, शिक्षाविदों से सलाह-मशवरा और समिति सदस्यों के बाद ही इस पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा। गौरतलब है कि केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा मंडल अर्थात सीबीएसई कोरोना काल से ही मेरिट प्रथा को बंद कर चुका है। सीबीएसई द्वारा ना तो केंद्रीय स्तर पर और ना ही राज्य स्तर पर मेरिट सूची जारी की जा रही है। इसके अलावा मध्यप्रदेश बोर्ड भी दसवीं-बारहवीं में प्रावीण्य सूची की घोषणा अब नहीं कर रहा है।
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खर्च होते हैं करोड़ों
माध्यमिक शिक्षा मंडल द्वारा टॉप-टेन में आने वाले छात्रों को डेढ़ लाख की राशि प्रदान की जाती है। सामान्यतः प्रतिवर्ष दसवीं-बारहवीं की मेरिट लिस्ट में 60 से 70 छात्र जगह बनाते हैं। पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गणना के बाद इसमें थोड़ा और इजाफा हो जाता है। इन छात्रों को हेलीकॉप्टर राइडिंग भी कराई जाती है। इस तरह से माशिम को प्रतिवर्ष एक से दो करोड़ की राशि खर्च करनी पड़ती है। नए नियम के बाद यह राशि भी बचेगी। इसके अलावा 1-2 अंकों से चूके छात्रों द्वारा पुनर्मूल्यांकन और पुनर्गणना के लिए आवेदन भी कम होने की संभावना है।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति में प्रावधान
बच्चों के मध्य अस्वस्थ प्रतियोगिता को समाप्त करने और स्वस्थ माहौल में उन्हें शिक्षा प्रदान करने के लिए यह कदम विभिन्न बोर्ड द्वारा उठाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अंतर्गत छात्रों को बेहतर वातावरण में शिक्षा की व्यवस्था करने कहा गया है। इसके तहत ही टॉपर्स लिस्ट सिस्टम खत्म किया जा रहा है। थोक में ऐसे विद्यार्थी होते हैं, जो महज कुछ ही अंकों से मेरिट लिस्ट में जगह बनाने से चूक जाते हैं। इन विद्यार्थियों में हीन भावना आ जाती है। पैरेंट्स, स्कूल सहित कई स्तरों पर उन्हें तुलना का सामना करना पड़ता है। नई व्यवस्था से विद्यार्थियों को तुलनात्मक वातावरण से बाहर निकालने और चिंतारहित होकर पढ़ाई करने में मदद मिलेगी।