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रायपुर में नए सरकारी किताबों को रद्दी में बेचने का मामला सामने आने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने पांच सदस्यीय जांच टीम का गठन किया है। 

रायपुर। छत्तीसगढ़ के रायपुर में भारी मात्रा में सरकारी स्कूल के नई किताबों का जखीरा बरामद किया गया था। किताबों को छात्रों को बांटने की बजाए रद्दी में बेच दिया गया था। मामले में बड़े भ्रष्टाचार की आशंका जताए जाने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने पांच सदस्यीय जांच दल का गठन किया है। 

दरअसल पूरा मामला सिलयारी स्थित रियल बोर्ड पेपर मिल के गोदाम का है जहां से भारी मात्रा में सरकारी स्कूल के किताबों का जखीरा बरामद किया गया है। मामले में बड़े भ्रष्टाचार की आशंका जताए जाने के बाद स्कूल शिक्षा विभाग ने पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक आईएएस राजेंद्र कटारा की अगुवाई में पांच सदस्यीय जांच दल का गठन किया है।

यहां देखें आदेश

पांच सदस्यीय जांच दल गठित 

पेपर मिल के गोदाम में वर्तमान सत्र की सरकारी किताबों का जखीरा बरामद होने के मामले में स्कूल शिक्षा विभाग ने छग पाठ्य पुस्तक निगम के प्रबंध संचालक आईएएस राजेंद्र कटारा की अगुवाई में पांच सदस्यीय जांच दल का गठन किया है। दल में अतिरिक्त संचालक, लोक शिक्षण संचालनालय डॉ. योगेश शिवहरे, संभागीय संयुक्त संचालक, शिक्षा संभाग राकेश पांडेय, छग पाठ्य पुस्तक निगम के महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश शर्मा और कलेक्टर शामिल किया गया है।

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यह है पूरा मामला 

पाठ्य पुस्तक निगम द्वारा स्कूलों में निशुल्क वितरण के लिए बांटी जाने वाली किताबों को लेकर बवाल हो गया है। पापुनि ने शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए इतनी अधिक संख्या में किताबें छाप दीं कि उन्हें रद्दी के हवाले करना पड़ा। सिलयारी की एक फैक्ट्री में लाखों की संख्या में किताबों को गलाते हुए पकड़े जाने के बाद यह मामला सामने आया है। पूर्व विधायक विकास उपाध्याय द्वारा यहां छापा मारे जाने के बाद विवाद बढ़ गया और कांग्रेस नेता यहां देर रात तक धरने पर बैठ गए। सिलयारी रियल पेपर मिल फैक्ट्री में इन किताबों को गलाकर पुनः कागज बनाया जा रहा था। किताबें इसी सत्र की है और अभी भी पूरी तरीके से अच्छी कंडीशन में हैं। जिन किताबों उपयोग में लाया जा सकता है, उन्हें रद्दी बताकर बेचा जा चुका है। किताबें इतनी संख्या में हैं, इसका पहाड़नुमा ढेर लगा हुआ है।

भाग गए फैक्ट्री वाले

किसी भी शासकीय विभाग से रद्दी निकलने पर उसके निपटान की भी अपनी प्रक्रिया होती है। इसके लिए टेंडर जारी करके अन्य प्रक्रियां पूर्ण की जाती हैं। छापे के वक्त जब फैक्ट्री वाले से पूछा गया कि उसे गलाने के लिए ये किताबें कहां से मिली, तो उसका कहना था कि ये किताबें कबाड़ से उसे मिली है। इसके बाद विवाद बढ़ता देखकर फैक्ट्री के अधिकारी- कर्मचारी भाग गए। पूरे मामले में पाठ्य पुस्तक निगम का पक्ष जानने के लिए महाप्रबंधक प्रेम प्रकाश पांडेय से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन उनके द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया।

कांग्रेस कार्यकाल का नहीं 

पापुनि पूर्व अध्यक्ष शैलेष नितीन त्रिवेदी ने बताया कि, जब 2024-25 के लिए किताबें छपनी प्रारंभ हुई थीं, उसके पूर्व ही मैं इस्तीफा दे चुका था। प्रकाशन व वितरण सहित अन्य सभी कार्य नई सरकार के आने के बाद हुए हैं।

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10 प्रतिशत संख्या बढ़ाकर होती है छपाई

लोक शिक्षण संचालनालय द्वारा प्रतिवर्ष छात्रों की संख्या पापुनि को भेजी जाती है। चूंकि छात्र प्रवेश जुलाई माह में लेते हैं और किताब प्रकाशन की प्रक्रिया इसके पूर्व दिसंबर-जनवरी में ही शुरु हो जाती है, इसलिए प्रतिवर्ष बीते सत्र में प्रवेशित छात्रों की संख्या में 10 प्रतिशत की वृद्धि करके अगले सत्र के लिए किताब प्रकाशन प्रारंभ कर दिया जाता है। इस फॉर्मूले से यदि किताबें वितरण पश्चात शेष भी रह जाती हैं, तब भी उनकी संख्या 10-15 हजार से अधिक नहीं होती है।

गल चुकी किताबें

पूर्व विधायक विकास उपाध्याय ने बताया कि, जब हम आए तो किताबें गलाई जा रही थीं। कितनी किताबें पूर्व में गलाई जा चुकी हैं, इसका कोई ब्योरा नहीं है। सभी किताबें वर्तमान सत्र की है।

घोटाले की आशंका

कांग्रेस रायपुर ग्रामीण अध्यक्ष उधो वर्मा  ने बताया कि, इतनी बड़ी संख्या में अतिरिक्त किताबों की छपाई सामान्यतः नहीं की जाती है। किताबों की संख्या देखकर किसी घोटाले की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है

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