रायपुर- लोकसभा चुनाव के लिए बसपा ने दूसरी सूची जारी की है। इस सूची में तीन प्रत्याशियों की घोषणा की गई है। राजनांदगांव से देवलाल सोनवंशी को मैदान में उतारा है। महासमुंद से बसंत सिन्हा को प्रत्याशी बनाया गया है। कांकेर से तिलकराम मरकाम बसपा के प्रत्याशी रहेंगे। यह तीन नाम प्रदेश अध्यक्ष श्याम टंडन ने घोषित किए हैं।
आपकी जानकारी के लिए बता दें, बसपा ने पहली सूची में दो सीटों यानी बस्तर और जांजगीर चांपा पर अपनें प्रत्याशी मैदान में उतारे थे। इस बार के चुनाव में बसपा और गोंगपा का गठबंधन होने वाला था। लेकिन बाद में बसपा ने 11 सीटों पर लड़ने का विचार बना लिया है।
गोंगपा और बसपा का क्यों टूटा गठबंधन
इन दोनों दलों के बीच गठबंधन क्यों टूटा ? इस सवाल का कोई सीधा जवाब बसपा के प्रदेश प्रभारी ने नहीं दिया है। कारण पूछने पर उन्होंने केवल यही कहा कि दोनों दल अपने संगठन का विस्तार करना चाहते हैं, इसलिए अलग-अलग लड़ रहे हैं। गठबंधन टूटने के सवाल पर गोंगपा प्रमुख एवं मौजूदा विधायक तुलेश्वर सिंह मरकाम का कहना है कि बसपा ने गठबंधन तोड़ लिया। कारण पूछने पर उन्होंने कुछ भी नहीं बताया।
बसपा को रास नहीं आता गठबंधन
छत्तीसगढ़ की राजनीति में बसपा अपना जनाधार लगातार खोती जा रही है। इस बार विधानसभा में भी पार्टी का कोई विधायक नहीं है। इससे पहले एक-दो विधायकों के साथ विधानसभा में पार्टी की मौजूदगी नजर आती थी। खास बात ये है कि पिछले कुछ चुनावों को देखा जाए, तो बसपा को छत्तीसगढ़ में गठबंधन की राजनीति रास नहीं आ रही है। 2018 के विधानसभ चुनाव में बसपा ने जोगी कांग्रेस के साथ मिलकर लड़ा था, लेकिन लोकसभा 2019 आते-आते यह गठबंधन टूट गया। इस बार वैसा ही गोंगपा के गठबंधन को लेकर हुआ है।
विधानसभा में गठबंधन नहीं चला था
बसपा को 2018 के विधानसभा चुनाव में गोंगपा के सथ गठबंधन फायदेमंद नहीं रहा था। इस चुनाव में बसपा ने राज्य की 90 सीटों में से 53 सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे, जबकि गोंगपा के हिस्से में 37 सीटें आई थीं। गोंगपा प्रमुख तुलेश्वर सिंह मरकार गठबंधन के प्रत्याशी के रूप में पाली तानाखार सीट जीतने में सफल रहे थे, लेकिन बसपा को जो सीटें मिलती थीं, उसमें भी हार का सामना करना पड़ा था। लिहाजा इस बार बसपा ने अकेले ही चुनाव लड़ने का रास्ता चुना है।