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केंद्र सरकार ने आयात शुल्क में इजाफा किया है। इसके बाद से ही राजधानी रायपुर के थोक से लेकर चिल्हर बाजार में तेल की कीमत में आग लग गई है।

रायपुर। खाद्य तेलों में आयात शुल्क बढ़ने के बाद प्रदेशभर में पुराने स्टॉक में मुनाफाखोरी का जमकर खेल हो रहा है। जहां डूमरतराई थोक बाजार के कारोबारियों ने सोया और राइसब्रान जैसे तेलों में 20 रुपए प्रति लीटर तक का इजाफा कर दिया है, वहीं रायपुर शहर के छोटे थोक कारोबारियों ने भी कीमत 20 रुपए और चिल्हर दुकानदारों ने कीमत में 30 रुपए का इजाफा कर दिया है। जो सोया तेल बीते शुक्रवार को थोक में 100 रुपए और चिल्हर में 110 रुपए था, वह अब 140 रुपए में बेचा जा रहा है। इसी तरह से राइसब्रान का हरेली तेल भी थोक में 100 और चिल्हर में 110 रुपए बिक रहा था, उसको 140 रुपए में बेचा जा रहा है। डूमरतराई बाजार में रोज खाद्य तेलों का ही कारोबार रोज का 80 लाख से एक करोड़ का होता है।

केंद्र सरकार ने आयात शुल्क में इजाफा किया है। इसके बाद से ही राजधानी रायपुर के थोक से लेकर चिल्हर बाजार में कीमत में आग लग गई है। हालांकि आयात शुल्क बढ़ने के बाद अब तक न तो नया माल आया है और न ही तेल का उत्पादन करने वाली कंपनियों ने नई कीमत जारी की है, लेकिन राजधानी रायपुर के थोक कारोबारियों ने अपने मन से ही 20 रुपए तक कीमत में इजाफा कर दिया है। यह बढ़ी कीमत पुराने स्टॉक पर ली जा रही है। वैसे बीते माह ही थोक में पांच रुपए तक चिल्हर में कीमत में 5 से 15 रुपए तक प्रति लीटर में इजाफा किया गया था।

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थोक में 20 रुपए तक बढ़े दाम

खाद्य तेलों में सबसे ज्यादा बिकने वाले सोया और राइस ब्रान तेल की बात करें तो इसकी कीमत जुलाई में सौ रुपए से कम थी सोया तेल और राइस ब्रान थोक में 90 रुपए के आस-पास और चिल्हर में 195 से 198 रुपए में बिक रहा था। लेकिन बीते माह त्योहारी सीजन प्रारंभ होने से पहले इसकी कीमत बढ़ाई गई थी। अब एक बार फिर से आयात शुल्क के कारण कीमत में इजाफा किया गया है। इस समय डूमरतराई में सोया तेल में सबसे ज्यादा बिकने वाली कीर्ति गोल्ड जहां पेटी में 1430 में मिल रहा है, वहीं इसको शहर के थोक कारोबारी 1550 रुपए में बेच रहे हैं। यानी यह थोक में 130 रुपए पड़ रहा है। इसको चिल्हर किराना दुकान वाले शहर से ले जाकर चिल्हर में 140 में बेच रहे हैं। पहले चिल्हर में यह 110 रुपए में बिक रहा था।

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रायपुर में रोज एक करोड़ का कारोबार 

डूमरतराई के थोक बाजार में खाद्य तेलों का रोज़ का 80 लाख से एक करोड़ तक का कारोबार होता है। कारोबारी तीन दिनों से लेकर एक सप्ताह का स्टॉक रखते हैं। आयात शुल्क लगने के बाद कारोबारियों ने अपने पुराने स्टॉक का ही रेट बढ़ा दिया है। जानकारों का कहना है कि, कारोबारियों ने पास अगर तीन दिनों का भी स्टॉक होगा तो यह तीन करोड़ के आसपास का ही होगा।

हरेली तेल की भी बढ़ा दी कीमत

राइसब्रान का हरेली तेल छत्तीसगढ़ में बनता है। जानकारों के मुताबिक इसका आयात शुल्क से दूर-दूर तक कोई लेना- देना नहीं है, लेकिन इसके बाद भी मौके का फायदा उठाते हुए कारोबारियों ने इसकी कीमत में भी थोक में 20 रुपए और चिल्हर में 30 रुपए का इजाफा कर दिया है। डूमरतराई में थोक में यह 1410 रुपए में एक पेटी 12 लीटर का पैक मिल रहा है। इसको शहर के थोक कारोबारी 1560 रुपए में बेच रहे हैं। यानी यह तेल भी थोक में 130 रुपए में मिल रहा है। इसको चिल्हर कारोबारी 140 रुपए में बेच रहे हैं।

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