रायपुर। छत्तीसगढ़ चैंबर ऑफ कॉमर्स के प्रदेश कार्यकारिणी की अंतिम बैठक में मंगलवार को हंगामा हुआ। एकता पेनल ने संविधान संशोधन को लेकर जहां सवाल उठाये। वहीं जय व्यापार पेनल ने आरोप को एक सिरे से खारिज करते हुए कहा कि नियम के साथ संविधान संशोधन किया गया है। चैंबर के प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी ने का कहना है कि कार्यकारिणी में यह विषय गया और वहां से मंजूरी मिलने पर कमेटी बनी। जिसने समय लेकर एक ड्राफ्ट तैयार किया उसे कार्यकारिणी में सर्व सम्मति से पारित करने के बाद आमसभा हुई।
व्यापारी एकता पेनल के राजेश वासवानी से संशोधन को गलत बताते हुए अध्यक्ष से सवाल किया। जिस पर अध्यक्ष अमर पारवानी ने कहा कि उदबोधन होते ही वे इसका जवाब देंगे। पर जवाब से पहले नारेबाजी शुरू हो गई। बैठक में संरक्षक आसुदामल वाधवानी, ईश्वरचंद अग्रवाल, रामजी भाई पटेल, अनिल बरड़िया, सलाहकार- मगेलाल मालू, भरत बजाज, दीपक बल्लेवार, जितेंद्र दोशी, प्रमोद दुबे, राम गिडलानी, दिलीप खटवानी, संजय रावत, परमानंद जैन, राकेश ओचवानी, सुरिंदर सिंह, अजय अग्रवाल, प्रदेश अध्यक्ष अमर पारवानी, महामंत्री अजय भसीन, कोषाध्यक्ष उत्तम गोलछा, कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, राजेन्द्र जग्गी, सहित प्रदेश भर से उपाध्यक्ष, मंत्री, कार्यकारिणी सदस्य और व्यापारिक, औद्योगिक संगठनों के प्रतिनिधि सहित कार्यकारिणी सदस्य शामिल रहे।
संविधान संशोधन में प्रक्रियाओं को अपनाया
चैंबर अध्यक्ष अमर पारवानी का कहना है कि मेरे जवाब देने के बाद वे लगातार सवाल कर रहे थे। मेरी बातों को सुन नहीं रहे थे। यह आरोप लगाते हैं कि चैंबर में संविधान संशोधन नियम के तहत नहीं हुआ। जबकि चैंबर में संविधान संशोधन नियम के साथ हुआ है। इसमें प्रक्रियाओं को ध्यान में रखा गया है। संविधान में कही भी यह मेंशन नहीं है कि जब तक अध्यक्ष नहीं रहेगा तो क्या प्रोटोकाल होना चाहिए। ऐसे में संविधान पर चर्चा शुरू हुई कार्यकारिणी में विषय रखा गया। वहां से मंजूरी मिलने पर कमेटी बनी जिसने समय लेकर ड्राफ्ट तैयार किया। मेडिकल कालेज के सभागार में आमसभा की गई थी। वहीं कमेटी के सदस्य संजय रावत ने प्रदेश के व्यापारियों के सामने सारी जानकारी दी। सारी चीजें डाक्यूमेंटेड है।
चुनाव अधिकारी की नियुक्ति, जल्द होगा चुनाव
चैंबर कार्यकारिणी की अंतिम बैठक में शिवराज भंसाली को चुनाव अधिकारी बनाया गया है। अमर पारवानी ने बताया पितृपक्ष के दौरान व्यापार थोड़ा कमजोर होता है इसलिए हमने उस समय चुनाव कराने का सर्व सम्मति से निर्णय लिया है। हालाकि चुनाव की तारीख का अंतिम निर्णय चुनाव अधिकारी लेंगे।