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कुदरत का जादू देखना है तो छत्तीसगढ़ के मैनपाट आइए। यहां का प्राकृतिक सौंदर्य मन मोह लेता है, ऊंची-ऊंची पहाड़ी, घने जंगल, हरी-भरी वादियों के बीच से बहते झरने और नदियां। ठंड और बारिश के दिनों में तो मैनपाट का सौंदर्य चरम पर होता है।

मैकल पर्वत के बीच से होकर गुजरते टेढ़े-मेढ़े रास्ते, और पहाड़ियों से नीचे घाटी के भव्य नजारे देखते ही बनते हैं। छत्तीसगढ़ का हिल स्टेशन कहे जाने वाले मैनपाट में ऐसी कई जगह हैं जो आपको रोमांच से भर देती हैं। उल्टा पानी, जलजली, मछली पॉइंट, टाइगर पॉइंट, मेहता पॉइंट, यहां मौजूद तिब्बतियों की बस्ती आपको अलग ही दुनिया में ले जाती है।  

मेहता प्वॉइंट

मैनपाट के मेहता प्वॉइंट से शानदार नजारा दिखता है। जहां तक नजर जाती है बस पहाड़ ही पहाड़ दिखाई देते हैं। सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा यहां से बेहद अनोखा होता है जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं। 

यहां उल्टा बहता है पानी

मैनपाट में एक छोटा सा गांव है बिसरपानी, यहां एक ऐसी जगह है जहां पानी ढलान की ओर नहीं बल्कि चढ़ाव की तरफ बहता दिखाई देता है। यहां गुरुत्वाकर्षण के नियम फेल नजर आते हैं। माना जाता है कि बिसरपानी गांव की इस जगह में गुरुत्वाकर्षण बल से ज्यादा प्रभावी मैग्नेटिक फील्ड है। जो पानी या वाहन को ऊपर (चढ़ाव) की तरफ खींचता है। यहां आने वाले पर्यटक ये नजारा देख अचंभित हो जाते हैं।

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यहां चलने से  हिलती है जमीन

मैनपाट के जलजली में चलने या उछलने से जमीन हिलती है। यहां आप जितनी चलहकदमी करेंगे उतनी ही ये जमीन हिलेगी। दरअसल ये एक छोटी नदी की ऊपरी सतह है जिसपर मिट्टी की मोटी परत जम चुकी है, जिससे ये जमीन दलदली बन चुकी है और चलने पर हिलती है। जलजली में घुड़सवारी और स्पोर्ट्स बाइक को रोमांच भी उठा सकते हैं। 

टाइगर पॉइंट

छत्तीसगढ़ के शिमला के नाम से मशहूर मैनपाट में टाइगर पॉइंट प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां देखने के लिए हरे भरे जंगल और एक जलप्रपात है। आमतौर पर झरनों को नीचे से देखना काफी मुश्किल होता है, लेकिन टाइगर प्वाइंट के इस झरने का नजारा पर्यटक नीचे उतरकर भी देख सकते हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार सालों पहले यहां बाघ पानी पीने आया करते थे। इस वजह से ये जगह टाइगर प्वाइंट के नाम से मशहूर हो गई। 

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‘छोटा तिब्बत’

मैनपाट में तिब्बतियों की बस्ती है, जिसके चलते मैनपाट को छोटा तिब्बत भी कहा जाता है। 1962 में तिब्बत पर चीन के कब्जे और वहां के धर्मगुरू दलाई लामा सहित लाखों तिब्बतियों के निर्वासन के बाद भारत सरकार ने उन्हें अपने यहां शरण दी थी। इसी दौरान तिब्बत के वातावण से मिलते-जुलते मैनपाट में एक तिब्बती कैंप बसाया गया था। यहां पीढ़ियों से रह रहे तिब्बती अपनी संस्कृति और परंपरा के चलते अब मैनपाट की पहचान बन गए हैं।

ठहरने के इंतजाम

मैनपाट में पर्यटकों के ठहरने के लिए छत्तीसगढ़ पर्यटन विभाग की ओर से शानदार शैला रिसोर्ट बनाया गया है। यहां ठहरने के साथ ही आपके खान पान का भी इंतजाम है। साथ ही वन विभाग के विश्राम गृह के अलावा यहां तिब्बती समुदाय के लोगों द्वारा कई जगह होम स्टे की भी सुविधा दी जाती है, जिससे आप यहां की नैसर्गिक खूबसूरती के अलावा तिब्बती संस्कृति से करीब से रूबरू हो सकते हैं। 

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ऐसे पहुंचें मैनपाट

मैनपाट की दूरी अंबिकापुर जिला मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर है, जहां सड़क मार्ग से जाने के लिए टैक्सी, बस या निजी वाहनों से पहुंचा जा सकता है। वहीं ट्रेन के जरिए आने वालों को अंबिकापुर रेलवे स्टेशन पर उतरना होता है। यहां से सड़कमार्ग से मैनपाट पहुंचा जा सकता है। वायुमार्ग से आने वालों के लिए रायपुर एयरपोर्ट पर आना होता है, रायपुर से अंबिकापुर की दूरी करीब 400 किलोमीटर है।

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