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शिक्षिका हिमकल्याणी सिन्हा बच्चों को समय-समय पर छत्तीसगढ़ के संस्कृति के बारे में बताती रहती हैं। होली पर्व के दूसरे दिन शासकीय प्राथमिक शाला सैगोन के छात्रों ने शिक्षिका हिमकल्याणी सिन्हा के लिए छत्तीसगढ़ी स्वादिष्ट व्यंजन लेकर आए।

बेमेतरा- छत्तीसगढ़ के बेमेतरा में होली पर्व के दूसरे दिन शासकीय प्राथमिक शाला सैगोन के छात्रों ने शिक्षिका हिमकल्याणी सिन्हा के लिए छत्तीसगढ़ी स्वादिष्ट व्यंजन लेकर आए। दरअसल, शिक्षिका हिमकल्याणी सिन्हा बच्चों को समय-समय पर छत्तीसगढ़ के संस्कृति के बारे में बताती रहती हैं। इसलिए यह सभी बच्चे संस्कृति को ध्यान में रखते हुए ठेठरी, खुरमी, सोहारी, गुलगुल भजिया, बरा, चीला चौसेला, अइरसा, गुजिया, कुशली, नमकीन आदि अपनी टीचर के लिए लेकर आए हैं। 

देवताओं को अलग-अलग पकवानों का भोग चढ़ाते हैं 

छत्तीसगढ़ी खान-पान और पकवानों का सांस्कृतिक मूल्य है, अलग-अलग पर्व में देवताओं को अलग-अलग पकवानों का भोग चढ़ाते हैं। छत्तीसगढ़ी व्यंजनों की सादगी, ताजगी और स्वाद सभी जगह प्रसिद्ध है। हर मौसम में अलग-अलग व्यंजन का महत्व है। 

Chhattisgarhi Dishes

बच्चों को जीवन में त्यौहार का महत्व बताया 

शिक्षिका हिमकल्याणी सिन्हा ने बच्चों को जीवन में त्यौहार का महत्व बताया है। हर पर्व और त्यौहार के अवसर पर लोग दुःख कष्ट भूलाकर जीवन में उल्लास और खुशी उत्पन्न करने के लिए पर्व त्यौहार मनाते हैं। छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक जीवन में परम्परा कला क्षेत्रीय त्यौहार और मेले और मनोरंजक सांस्कृतिक उत्सव के विभिन्न रूप शामिल है। संस्कृति परम्पराओं से, विश्वासों से, जीवन की शैली से, आध्यात्मिक पक्ष से, भौतिक पक्ष से लगातार जुड़ी है। सभी बच्चे शिक्षिका के मार्गदर्शन में व्यंजनों का प्रदर्शन करते हैं। एक साथ बैठकर स्वादिष्ट व्यंजन खाने का आनंद भी लेते हैं। छत्तीसगढ़ी करमा गीत में प्रस्तुति दी जाती है। 

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