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बिलासपुर में भगवान राम के नाम दो करोड़ से ज्यादा की राशि की घोषणा की गई लेकिन उसे जारी नहीं किया गया। अब भाजपा और कांग्रेस कलेक्टर को उनके ही वादे याद दिला रहे हैं।

संदीप करिहार- बिलासपुर। बिलासपुर में भगवान राम के नाम दो करोड़ से ज्यादा की राशि की घोषणा की गई लेकिन उसे जारी नहीं किया गया। अब भाजपा और कांग्रेस कलेक्टर को उनके ही वादे याद दिला रहे हैं। इससे कलेक्टर घोषणा की जमकर किरकिरी होने लगी है।  

दरअसल, बिलासपुर में अरपा नदी पर एक 100 साल पुराना पुल है, पहले तो नगर निगम ने इस पुल को नया नाम दिया। अयोध्या में श्री राम मंदिर के उद्घाटन के अवसर का फायदा उठाते हुए लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इसके बाद इस पुल को दोबारा बनाने की घोषणा की। लेकिन अब भूल गए हैं। 

arpa bridge
अरपा पुल

अरपा पुल का नाम रखा ‘रामसेतु’

22 जनवरी 2024 को अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन का माहौल पूरे देश में सबाब पर था। इसका फायदा उठाते हुए जबड़ापारा के भाजपा पार्षद विजय ताम्रकार ने इस पुराने पुल का नामकरण का प्रस्ताव निगम के एमआईसी (मेयर इन काउंसिल) में 10 जनवरी को महापौर रामशरण यादव के सामने रख दिया। चूंकि प्रकरण शहर के हित का था और रामभक्ति में डूबा हुआ था, जिसे देखते हुए महापौर रामशरण यादव ने तत्काल प्रभाव से अरपा पुराने पुल का नाम ‘रामसेतु’ कर दिया। नगर निगम के एमआईसी में प्रस्ताव पारित होते ही कलेक्टर अवनीश शरण ने रामसेतु पुल को कैच कर लिया और इस पर दो करोड़ कुछ लाख रुपए DMF से देने की घोषणा कर दी।

पुल के नामकरण का किया गया था भव्य आयोजन 

बकायदा इस पर वाहवाही लूटने और प्रदेशभर के लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचने के लिए कलेक्टर अवनीश शरण ने उद्घाटन का विधिवत कार्यक्रम आयोजित करवाया। इस कार्यक्रम में पूर्व मंत्री और बिलासपुर के वरिष्ठ विधायक अमर अग्रवाल को मुख्यातिथि और कार्यक्रम का अध्यक्ष नगर निगम के महापौर रामशरण यादव को बनाया। इसके साथ ही भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के पार्षदों समेत अन्य जनप्रतिनिधियों को भी आमंत्रित किया। दो करोड़ रुपए से पुल के सौंदर्यीकरण की बात कही गई। इस आयोजन के बाद से ही इस पुराने पुल को ‘रामसेतु’ के नाम से जाना जाने लगा। जैसे-जैसे राममंदिर के उद्घाटन का समय खिसकता गया और क्रेज कम हुआ तो कलेक्टर अवनीश शरण अपने ही वादे को भूल गए। इस तरह उन्होंने राम के नाम पर शहरवासियों को झुनझुना पकड़ा दिया। 

Old photo of inauguration
उद्घाटन की पुरानी तस्वीर

नामकरण के बाद प्रशासन ने खूब लूटी थी वाहवाही 

अरपा नदी के पुल से नाम बदलकर रामसेतु का नामकरण होने पर प्रशासन ने खूब वाहवाही लूटी और पूरे देश का ध्यान अपनी तरफ खींचने की कोशिश की। इस पर काफी हद तक बिलासपुर कलेक्टर अवनीश शरण और नगर निगम कामयाब भी हुए। दो करोड़ रुपए देने की घोषणा को लगभग 7 महीने बीत चुके हैं। लेकिन कलेक्टर साहब अपनी घोषणा को भूल चुके हैं। यही कारण है कि, अब बिलासपुर के भाजपा और कांग्रेस दोनों ही दलों के नेता उन्हें उनके वादे याद दिला रहे हैं। उन्होंने कलेक्टर के द्वारा राम के नाम पर किए गए ऐलान को जल्द पूरा करने की मांग की। 

कलेक्टर अपना वादा जल्द पूरा करें- नगर निगम सभापति 

इस संबंध में बिलासपुर नगर निगम के सभापति शेख नजीरुद्दीन ने कहा कि, नगर निगम ने अरपा नदी के पुराने पुल को जनभावना को देखते हुए सम्मान के साथ नामकरण कर रामसेतु कर दिया था। इस पुल को सुंदर बनाने के लिए दो करोड़ रुपए DMF से देने के लिए कलेक्टर ने घोषणा की थी। लेकिन अब तक राशि नहीं मिलने से जनमानस में नाराजगी देखने को मिल रही है। वर्तमान कलेक्टर से अपील है कि, अपने वादे को पूरा करें और राशि जारी कर विकास के अधूरे सपने को पूरा करें। 

Ram's name decorated on the bridge
पुल पर सजाया राम का नाम

कलेक्टर को वादा याद दिलाने की कर रहे कोशिश - भाजपा पार्षद ताम्रकार

वहीं भाजपा पार्षद विजय ताम्रकार ने कहा कि, अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन के अवसर को यादगार बनाने के लिए बिलासपुर के अरपा पुल का नामकरण कराया गया। पूरे सदन ने इसे सहर्ष स्वीकार कर पारित कर दिया लेकिन बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि, कलेक्टर अवनीश शरण अपने वादे से भटक चुके हैं। हम उन्हें उनका वादा दोबारा याद दिलाने की कोशिश कर रहे हैं। रामायण में कहा गया है कि, "होत वही, जो राम रची राखा" का स्मरण कराते हुए अनोखे अंदाज में उन्हें याद दिलाने की कोशिश की है। यह भी कहा कि, राम के नाम पर घोषणा करके भूलना अच्छी बात नहीं है। इससे हिंदुओं की धार्मिक भावना जुड़ी हुई है।

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