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खैरागढ़ में कांग्रेस समर्थित नगर पालिका अध्यक्ष का इस्तीफा स्वीकार हो गया है। इसके साथ ही कांग्रेस के हाथ से प्रदेश का एक और शहर निकल गया।

खैरागढ़। छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ नगर पालिका के कांग्रेस समर्थित अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा का इस्तीफा स्वीकार हो गया है। इसके साथ ही प्रदेश के एक और शहर से कांग्रेस सरकार गिर गई है। इस तरह अब कुल मिलाकर बीजेपी के पास अब 10 पार्षद हैं, वहीं कांग्रेस के पास 9 पार्षद। 

इस घटनाक्रम के बारे में नगर पालिका के सीईओ प्रमोद शुक्ला ने बताया कि, नगर पालिका अध्यक्ष शैलेंद्र वर्मा का इस्तीफा स्वीकार हो गया है। शासन के निर्देशानुसार आगे की आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

पहले दिया इस्तीफा, फिर पार्टी के दबाव में मार ली थी पलटी

उल्लेखनीय है कि, 13 फरवरी को शैलेंद्र वर्मा ने नगर पालिका अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने इस बात की किसी को भनक तक नहीं लगने दी थी। लेकिन जब 17 फरवरी को स्थानीय मीडिया को नगर पालिका अध्यक्ष के इस्तीफे की जानकारी हुई तो पार्टी के दबाव में आकर शैलेंद्र वर्मा ने इस्तीफे से इनकार कर दिया। 

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लेटरपैड का दुरुपयोग और हस्ताक्षर को फर्जी बताया 

पार्टी नेताओं के दबाव में आकर शैलेंद्र वर्मा ने लेटरपैड का दुरुपयोग कर फर्जी हस्ताक्षर करने की शिकायत थाने में दर्ज कराई थी। इसके बाद खैरागढ़ विधायक यशोदा वर्मा के साथ शैलेंद्र वर्मा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस्तीफे की बात को फर्जी कहा था। शैलेंद्र वर्मा उच्च न्यायालय भी गए लेकिन वहां भी उन्हें बुरी तरह से हार मिली। 

हाईकोर्ट ने लगाया 10 हजार का जुर्माना

इस मामले में राहत पाने के लिए शैलेन्द्र वर्मा ने उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका लगाई थी। जहां कोर्ट ने नगरीय प्रशासन विभाग को इस मामले में उचित निर्णय एक महीने के भीतर लेने के निर्देश दिए। महीने भर की कार्रवाई पूरी होने के पहले ही दोबारा हाईकोर्ट में याचिका लगाए जाने पर कोर्ट ने शैलेंद्र वर्मा पर 10 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया।

एक बार फिर कोर्ट जाएंगे शैलेन्द्र वर्मा​​​​​​​

इस्तीफा स्वीकार होने के बाद नगर पालिका अध्यक्ष शैलेन्द्र वर्मा ने कहा कि, हाई कोर्ट के फैसले को वो फिर से चैलेंज करेंगे। सप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के आधार पर कार्रवाई की मांग करेंगे।

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