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स्वामी आत्मानंद स्कूल के निर्माण में ठेकेदार और पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की सांठ-गांठ का मामला उजागर हुआ है। जहां बिना निरीक्षण करे ही निर्माण शुरू है और फर्जी वाउचर पेश कर पेमेंट भी किया जा रहा है।

अक्षय साहू-राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के ग्राम सुकुलदैहान में 1 करोड़ 77 लाख की लागत से बन रहे स्वामी आत्मानंद स्कूल के निर्माण में ठेकेदार द्वारा पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर जमकर मनमानी की जा रही है। दरअसल स्टीमेट में नए बिल्डिंग का निर्माण 147 फ़ीट में किया जाना है, लेकिन 137 फ़ीट में ही निर्माण कार्य किया जा रहा है। वहीं पुराने स्कूल को नए सिरे से नवीनीकरण करना है, लेकिन निर्माण एजेंसी पीडब्ल्यूडी ने पुराने दरवाजा, खिड़की को ही लगाकर नए सामानों का बिल वाऊचर पेश कर दिया है। वहीं निर्माण कार्य में लगे मजदूरों को बिना सेफ्टी इक्यूपमेंट में ऊंचाई पर काम करवाया जा रहा है। 

जिला मुख्यालय से 14 किलोमीटर दूर ग्राम सुकुलदैहान में डीएमएफ मद से 1 करोड़ 77 लाख की लागत से स्कूल बिल्डिंग का निर्माण किया जा रहा है। इसके अलावा पुराने स्कूल को भी रिनोवेट किया जाना है, लेकिन निर्माण कार्य में लीपापोती कर शासकीय राशि का जमकर बंदरबाट किया जा रहा है। इसे लेकर ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। पीडब्ल्यूडी विभाग के अधिकारियों के साथ सांठ गांठ कर ठेकेदार मनमानी कर रहा है। विभागीय कर्मचारियों के मुताबिक पुराने स्कूल भवन में पुराने फर्श को हटाकर टाइल्स लगाना था लेकिन ठेकेदार ने टाइल्स के नीचे बिना बेस दिए फर्श के ऊपर ही टाइल्स लगा दिया। इसके अलावा स्टीमेट के मुताबिक नई खिड़की और दरवाजा लगाना था, लेकिन ठेकेदार ने भवन से पुराने दरवाजे हटाने की जहमत तक नहीं उठाई। इस मामले में जब पीडब्ल्यूडी विभाग के एसडीओ पी के सिंघानिया से बात की गई तो वे ठेकेदार का पक्ष लेते हुए नजर आए। 

सवालों के घेरे में ठेकेदार और अफसर 

गौरतलब है कि, क्या विभाग ने निर्माण कार्य करने से पहले स्पॉट में जाने का कष्ट भी नहीं किया। सवाल यह भी उठता है कि, यदि विभाग के कर्मचारी और अधिकारी निर्माण के पहले स्थल निरीक्षण के लिए गए थे तो माप में इतनी बड़ी चूक कैसे हो गई कि, 10 फ़ीट अधिक बिल्डिंग निर्माण का स्टीमेट तैयार कर टेंडर भी करवा दिया गया और निर्माण कार्य भी शुरू करवा दिया गया। यदि माप करने और स्टीमेट तैयार करने में चूक हुई होती तो विभाग द्वारा उसे सुधार कर स्टीमेट तैयार कर टेंडर किया जाता। इससे स्पष्ट है कि विभाग भी ठेकेदार की इस मनमानी में अपनी सहमति दे चुका है। तमाम तथ्यों पर ध्यान दिया जाए तो पीडब्ल्यूडी विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठना लाजमी है।

अधिकारी दे रहे गोल-मोल जवाब 

इस मामले को लेकर जब हमारे संवाददाता ने एसडीओ पीके सिंघानिया से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि, उपयुक्त स्थान नहीं होने के कारण 147 फ़ीट के बजाय 137 फ़ीट में ही निर्माण कार्य करवाया जा रहा है। निर्माण के मुताबिक ठेकेदार को भुगतान किया जाएगा।

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