रायपुर। एक ओर जहां लोग शादी-ब्याह में होटल-मैरिज पैलेस की बुकिंग, बारात, बैंड-बाजा, रिसेप्शन समारोह सहित कई चीजों में लाखों-करोड़ों रुपए खर्च करते हैं, वहीं दूसरी ओर शादी में होने वाले खर्च को फिजूल मानने वाले ऐसे भी कई जोड़े हैं, जो कलेक्टोरेट कोर्ट में सरलता व सादगी से शादी करना पसंद कर रहे हैं। इससे न केवल शादी-ब्याह के नाम पर होने वाली फिजूलखर्ची से बच रहे हैं, बल्कि इससे नवविवाहिता जोड़े की बचत भी हो रही है।
यह बचत राशि जोड़े को अपनी गृहस्थी चलाने में मददगार भी साबित होगी। रायपुर कलेक्टोरेट कोर्ट में मंगलवार को आधा दर्जन जोड़े परिणय सूत्र में बंधे। विवाह के दौरान इन जोड़ों के साथ उनके परिवार के लोग भी पहुंचे थे। इन जोड़ों में एक जोड़ा कृष्णा हिआल और संतोषी बाघ का भी था। इस जोड़े की ओर से अधिवक्ता भगवानू नायक एवं उर्वशी घोष भी उपस्थित थे।
फिजूलखर्ची से बचत, शोर-शराबा, मेहमानों का झंझट भी नहीं
अधिवक्ता श्री नायक ने बताया कि, शादी-ब्याह में होने वाले फिजूल खर्च के साथ शोर-शराब से बचने के लिए अब कोर्ट मैरिज की संख्या बढ़ी है। कोर्ट मैरिज से फिजूल के खर्च से बचत होती है, साथ ही शोर-शराबा, मेहमानों की पसंद-नापसंद का ख्याल रखना, दहेज के झंझट आदि से भी मुक्ति मिल जाती है। कोर्ट में वर-वधू दोनों की तरफ से कुछ रिश्तेदार और परिचित लोगों की उपस्थिति में सादगी से विवाह संपन्न हो जाता है।
लीगल मैरिज से अनेक फायदे
अधिवक्ता श्री नायक ने बताया, कोर्ट मैरिज एक लीगल मैरिज है, जिसके अनेक फायदे हैं। कोर्ट मैरिज के पहले विवाह अधिकारी कार्यालय वर-वधू के जन्म, निवास आदि दस्तावेजों का परीक्षण करता है। अखबार में प्रकाशन कर आपत्तियां मंगाई जाती हैं और गवाहों की उपस्थिति में विवाह अधिकारी विवाह संपन्न कराते हैं।