पंकज सिंह भदौरिया- दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा जिला अस्पताल में सिविल सर्जन कार्यालय से एक नया वित्तीय लापरवाही का बड़ा मामला उजागर हुआ है। जिसमें सिविल सर्जन की चेक बुक से 7 ब्लेंक चेक के पन्ने गायब हो गये। इन्ही चेक के पन्नो से लाखों रुपये दंतेवाड़ा जिले की अलग- अलग दुकानों में ट्रांजेक्शन कर राशि फर्जी तरीके से निकालने की बात सामने आ रही है।
दरअसल, अस्पताल में सिविल सर्जन रामलाल गंगेश के चार्ज लेने पहले डॉक्टर कपिलदेव कश्यप इस पोस्ट पर बैठे थे। जिनका तबादला दंतेवाड़ा जिले से 22 अगस्त को सुकमा हो गया। इन्ही के फर्जी हस्ताक्षर से 28 अगस्त को दंतेवाड़ा की एसबीआई बैंक से दो-दो लाख के तीन चेक एम ब्रदर्स हार्डवेयर और आयुष इलेक्ट्रॉनिक के नाम से काटे गए थे। जिसके बाद इस बात की भनक जिला प्रशासन को लग गयी कि, जिला अस्पताल में फर्जी चेक से पैसों का आहरण हो रहा है। प्रशासन ने मामले की जांच बिठाई तो इस मामले बेहद ही चौकाने वाले तथ्य उजागर हुये। जब सिविल सर्जन के खाते के तीन महीने का ट्रांजेक्शन खंगाला गया तो 4 और चेक में गड़बड़ी उजागर हुई। इस पर भी दंतेवाड़ा की एक हार्डवेयर के नाम 13 लाख और एक ग्लास दुकान के नाम पर 17 लाख रुपये निकाले गये हैं।
बैंक ने होल्ड कर वापस लिये पैसे
इस मामले को लेकर दंतेवाड़ा की एसबीआई ब्रांच पर प्रशासन ने पूछताछ शुरू की गई तो पता चला कि, इस तरह की गड़बड़ी हुई है। जहां ब्रांच ने अब तक 28 अक्टूबर को चेक से लेनदेन हुये 6 लाख रुपये वापस सिविल सर्जन के खाते में डलवा दिये। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, बैंक के कर्मियों की संलिप्तता इस कांड की तरफ सीधे उजागर होती नजर आ रही है।
नये सिविल सर्जन के हस्ताक्षर देखे बिना बैंक से आहरण हुआ पैसा
इस पूरे मामले में सबसे बड़ी लापरवाही इस मामले में एसबीआई ब्रांच दंतेवाड़ा के उन बैंककर्मियों की प्रथम दृष्टया नजर आ रही है। जिनकी मदद से यह राशि आहरण हुई है। दरअसल, जब डॉक्टर कपिलदेव कश्यप का तबादला 22 अगस्त को दंतेवाड़ा जिले से सुकमा हो गया था और उनकी जगह नये सिविल सर्जन डॉक्टर गंगेश चार्ज ले लिये थे तो सामान्य बात है कि, बैंक डिटेल में भी सिग्नेचर नमूना हस्ताक्षर सब प्रशासनिक प्रक्रिया के तहत बदल दिये गये होंगे। फिर पुराने सीएस के सिग्नेचर से आखिर राशि किस तरह निकाली गई। यह प्रशासन को बारीकी से बैंककर्मियों से चर्चा कर निकालनी चाहिए।
बाबुओं का पेंच समझिये
इस मामले में सिविल सर्जन ऑफिस के प्रभारी एनएचएम/डीएमएफ में बैठने वाले बाबू कमलेश अंबलगम जो कि, आपरेटर होते हुए वित्तीय जिम्मेदारी निभा रहे उनसे पूछताछ का इंतजार अस्पताल महकमा कर रहा है। मामला उजागर होने के बाद से औपचारिक बाबू छुट्टी में है। इनके आने से ही यह पता चल पायेगा कि, किस तरह से चेक के पन्नो की हेराफेरी हुई है। जानकारी के लिये बता दें कि इसी शाखा में पहले अभिषेक नामक बाबू का नाम भी इस प्रकरण से जोड़ा जा रहा है। मगर उनका साफतौर पर पूरे मामले से इंकार करते हुये कहा जा रहा है कि, मैं बीते कई महीनों से अस्पताल में अपनी सेवाओं को नही दे रहा हूं, इसलिए इस मामले से मैं अनभिज्ञ हूं।
जांच कर होगी कार्रवाई- सीएचएमओ
इस पूरे मामले को लेकर दंतेवाड़ा सीएचएमओ ने कहा कि, इस मामले को लेकर थाने शिकायत पत्र दिया गया है, साथ ही जांच भी चल रही है। बीते 1 साल की पूरी ट्रांजेक्शन डिटेल खंगालकर हम कार्यवाही करेंगे।
सिविल सर्जन बोले- डिटेल निकालकर होगी जांच
वहीं सिविल सर्जन डॉ. रामलाल गंगेश ने कहा कि, अभी 3 माह की डिटेल निकाली गई है, आपरेटर के आने के बाद पूरे 1 साल की डिटेल निकालेंगे तब मिलान करने से समझ आयेगा। वैसे मैंने जितने भी चेक काटे हैं, उसकी पर्ची पंजी संधारित की गई है।