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दंतेवाड़ा के जिला अस्पताल में सिविल सर्जन कार्यालय से चेक गायब होने की जांच के बाद बड़ा खुलासा हुआ है। गायब चेक से कई फर्मों को 66 लाख रुपये दिए गए हैं। जांच टीम ने अपनी रिपोर्ट कलेक्टर को भेजी है। 

पंकज भदौरिया- दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा के जिला अस्पताल में सिविल सर्जन कार्यालय से वित्तीय लापरवाही का मामला उजागर हुआ था। जिसमें सिविल सर्जन की चेक बुक के 7 ब्लेंक चेक के पन्ने गायब हो गये। इन्हीं चेक के पन्नों से 66 लाख रुपये दंतेवाड़ा जिले की अलग- अलग दुकानों में फर्जी तरीके से पूर्व बाबू ने चेक चोरी कर ट्रांजेक्शन कर राशि निकाल ली थी। इसके बाद प्रशासन ने इस मामले में 4 सदस्यीय जांच टीम लगाकर मामले की जांच की मामले में बड़ा घोटाला उजागर हुआ है। इस फर्जी चेककांड में पूर्व बाबू अभिजीत उर्फ मिक्की और एसबीआई दंतेवाड़ा बैंक मैनेजर और वर्तमान में आपरेटर कमलेश अंबलगम की मिलीभगत उजागर हो रही है। वही सिविल सर्जन रामलाल गंगेश की लापरवाही अबतक जांच में नजर आई है। 

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अब तक पदस्थ सीएमओ की सूची 

यहां किया गया फर्जी ट्रांजेक्शन 

दंतेवाड़ा के सरताज ग्लास को एक चेक 15.52 लाख का चेक, सौरभ ट्रेडर्स हार्डवेयर को 17 लाख रुपये, एम ब्रदर्स हार्डवेयर को 4 लाख के चेक और आयुष  इलेक्ट्रिकल्स आवाराभांटा 2 लाख के चेक जारी हुआ है। इन सभी के अलावा एक 16 लाख रुपये टीडीएस की राशि रायपुर की एक फर्म को भुगतान किया गया है और 8.50 लाख रुपये एक अन्य के खाते में डाला गया है। जांच के दायरे में ये सभी फर्म भी आ रही है। क्योंकि, सरकारी राशि की बंदरबांट में इन सबकी मिली भगत सामने आ रही है। सरकारी सिविल सर्जन के खाते से भुगतान लेने का परिणाम इन सभी फर्मों को आने वाले समय मे भुगतना पड़ सकता है।

बैंक पर ऐसे उठ रहे सवाल 

दंतेवाड़ा एसबीआई ब्रांच मैनेजर और बैंक कर्मियों की इस मामले में बड़ी लापरवाही उजागर हो रही है। क्योंकि, सीएस के हस्ताक्षर मिलाय बिना ही लगातार  बड़ी राशि मिलीभगत से कथित आरोपी पूर्व बाबू के साथ आहरण का खेल खेला जा रहा था। सिविल सर्जन के खाते के ट्रांजेक्शन का मोबाइल अपडेट भी बड़ी ही चालाकी से पूर्व बाबू ने अपने मोबाइल नम्बर को करवा लिया था। इधर इन सब मामलों के उठने के बाद पूर्व बाबू ने एसबीआई ब्रांच में 6 लाख रुपये गलत तरीके से निकालने की बात लिखित में स्वीकार की है। इस स्वीकार लेटर के बाद से ही मामले में पूर्व बाबू अभिजीत के डीएमएफ के पैसों के हेर-फेर में शामिल होने की बात अस्पताल में उठने लगी। इधर जिला अस्पताल महकमा लगातार इन सब मामलों से लापरवाहियों में छतीसगढ़ में नम्बर वन बना हुआ है। देखना है अब इस जांच की आग कहां तक जाती है।

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