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छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में इन दिनों सुरक्षा प्राप्त नेताओं के लिए आवास सबसे ज्यादा चर्चा का विषय है। इस समस्या का समाधान भी अब सुरक्षा प्राप्त नेता ही सुझा रहे हैं। 

पंकज भदौरिया- दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित दंतेवाड़ा जिले में सुरक्षाधारी नेताओं  के लिए आवास एलॉटमेंट प्रशासन के लिए गले की फांस बनता जा रहा है। दरअसल आवास यहां सुरक्षा के अलावा स्टेटस सिंबल भी बन गए हैं। सत्ता बदलते ही सियासतदान अपने रंग में आते हैं और प्रशासनिक अधिकारियों को ना चाहकर भी वे सभी काम करने पड़ते जो आमतौर पर नियम विरुद्ध होते हैं।

उल्लेखनीय है कि, प्रदेश की सत्ता बदलने के बाद से दंतेवाड़ा जिले में आवास आवंटन का मुद्दा खूब गरम है। कांग्रसियों का आवास खाली करवाया जा रहा है, वहीं भाजपाइयों को आवास मुहैया करवाया जा रहा है। हालांकि दोनों ही दलों के सुरक्षाधारी नेता आवास के हकदार हैं। इसके पीछे बड़ी वजह ये है कि, ये सभी नक्सल राडार पर हैं। 

दंतेवाड़ा जिले में 31 नेताओं को मिली है सुरक्षा

जिले में 31 सुरक्षाधारी नेता हैं। इन पर करोड़ों रुपए प्रतिमाह शासन खर्च कर रहा है। बावजूद इसके राग यही अलापा जाता है कि, बेहतर जगह रहने की व्यवस्था की जाए...नहीं तो नक्सल हमला हो सकता है। यदि वाकई में सुरक्षाधारियों को सुरक्षित करना है तो इन सभी के लिए एक नए सर्वसुविधायुक्त कैंपस का निर्माण हो। इसी कैंपस में सभी वीआईपी को रखा जाए। यह बात कोई और नहीं दोनों दलों के सुरक्षाधारी नेता ही कह रहे हैं। जवानों का एक ही कैंपस में जमावाड़ा हो जाएगा और नेताओं की सुरक्षा व्यवस्था भी बेहतर हो जाएगी। 

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सुरक्षा पर कांग्रेस नेता की बेबाक राय

सुरक्षा के विषय पर कांग्रेस के प्रदेश सचिव राजकुमार तामो ने दो टूक शब्दों में अपनी बात रखी। उन्होंने कहा- जिले में न तो पैसे की कमी है और न ही जगह की कोई कमी है। शासन को सुरक्षाधारियों के लिए एक सर्व सुविधायुक्त कैंपस बनाना चाहिए। वहां सभी वीआईपी को आवास आवंटन करके देना चाहिए। इससे पुलिस का भी काम आसान हो जाएगा और सुरक्षाधारियों को बेहतर सुरक्षा भी मिल जाएगी।

केटेगरी वाइज मिलती है गाड़ियां और तय होती है जवानों की संख्या

छत्तीसगढ़ राज्य का दंतेवाड़ा ऐसा इकलौता जिला है, जहां 31 जनप्रतिनिधि सुरक्षा के साए में है। इस जिले में जेड प्लस से लेकर एक्स श्रेणी के सुरक्षाधारी हैं। इन सभी की सुरक्षा में लगभग 500 जवान तैनात किए गए हैं। जेड प्लस में लगभग 40 जवान और सरकारी पांच वाहन लगाए जाते हैं। जेड श्रेणी में 25 जवान और तीन वाहन दिए जाते हैं। वाई प्लस श्रेणी में 10 से 12 जवान और दो गाड़ियां दी जाती हैं। वाई श्रेणी में 6 से 8 जवान और एक सरकारी वाहन मुहैया करवाया जाता है। वही एक्स श्रेणी में 2 से 4 जवान और एक वाहन दिया जाता है। इस पूरी सुरक्षा में प्रतिदिन लगभग 10 से 12 लाख रुपए शासन को खर्च करना पड़ता है।

समर्पित नक्सलियों के लिए बनाया जा चुका है कैंपस

जिले में आत्म समर्पण करने वाले नक्सलियों की सुरक्षा को देखते हुए तकरीबन चार साल पहले कैंपस बनाया गया था। साथ ही कॉम्पलेक्स भी तैयार किया गया था। इन दुकानों में रोजमर्रा की पूरी समाग्री उपलब्ध है। इस कैंपस में रहने वाले समर्पित नक्सली और उनका परिवार पूरी तरह से सुरक्षित है। यह कैंपस पुलिस लाइन कारली के सामने स्थित है। इस कैंपस को पूरी तरह से सुरक्षित बनाया गया है। जवानों की पैनी नजर इस कैंपस पर हमेशा रहती है। यहां जो लोग दुकानों का संचालन कर रहे हैं वे भी समर्पित नक्सली ही हैं और उनके परिवार के लोग हैं। 

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विधायक चैतराम अट्टामी

सामूहिक आवास बनाने के लिए ऊपर रखेंगे प्रस्ताव : विधायक अटामी

इस मामले में स्थानीय विधायक चैतराम अट्टामी ने सुरक्षाधारियों के आवास आवंटन पर उठ रहे सवालों पर कहा है कि, दंतेवाड़ा में आवास कम हैं और सुरक्षाधारी ज्यादा। इसलिए सामूहिक आवास बनाए जाने का प्रस्ताव सरकार के पास लेकर जाएंगे। इसे मूर्तरूप देने के लिए प्रयास किया जाएगा। सामूहिक आवास बनने से सभी सुरक्षाधारी एक ही कैंपस में आ जाएंगे और सुरक्षा भी बेहतर हो जाएगी।

कम से कम तीन आवास तो बनने ही चाहिए : अटामी

वहीं विधायक ने इस बात की आवाज भी उठाई कि, कम से कम तीन जनप्रतिनिधयों के लिए आवास तो और जिला मुख्यालय में बनने ही चाहिए। विधायक आवास, जिला पंचायत अध्यक्ष आवास और नगर पालिका अध्यक्ष के लिए आवास। जो भी चुन कर आएं और इन आवासों में रहें वे जैसे ही कार्यकाल पूरा हो या चुनाव हारें तो उसे स्वत: उस आवास को छोड़ कर चला जाना चाहिए। इससे इस समस्या का पूरी तरह से निदान हो जाएगा।

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