रायपुर। छत्तीसगढ़ में कस्टम मिलिंग करने वाले मिलरों को चावल जमा करने के लिए 31 दिसंबर तक दी गई मोहलत खत्म हो गई है, लेकिन अभी चावल मिलरों से लेना बाकी है। बताया गया है कि वसूली के लिए, मिलरों के बिल से एडजेस्ट किया जाएगा या विधिवत वसूली की जाएगी।
राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी होने के बाद, धान का एक बड़ा हिस्सा मिलरों को चावल बनाने के लिए दिया जाता है। वह चावल राज्य पूल के लिए नागरिक आपूर्ति निगम और सेंट्रल पूल के लिए एफसीआई में जमा कराया जाता है। अभी जिन मिलरों से जो बकाया चावल लेना है, वह पिछले खरीफ सीजन का है। खाद्य विभाग के सूत्रों के अनुसार जिन मिलरों ने चावल जमा नहीं कराया है, उनकी संख्या डेढ़ सौ से अधिक है। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि चावल की जितनी मात्रा बची है, वह बहुत अधिक नहीं है। मिलरों से बकाया चावल की वसूली करने उनके कस्टम मिलिंग के बिलों से राशि काटी जाएगी। इसके अलावा भी विधिवत प्रावधान के मुताबिक वसूली की जाएगी।
उसना चावल मिलिंग के लिए कोटा जारी
छत्तीसगढ़ से चालू खरीफ सीजन में केंद्र सरकार 15 लाख मीट्रिक टन उसना चावल लेगी। केंद्र के यह अनुमति मुख्यमंत्री विष्णुदेव साथ के विशेष आवह पर दी है। इससे पहले पूर्ववती काग्रेस सरकार के कार्यकाल में कई बार केंद्र से आग्रह किया गया कि राज्य से उसना चावल लिया जाए, लेकिन केंद्र ने अनुमति नहीं दी थी। अब बताया गया है कि 15 लाख मीट्रिक टन उतना चावल तैयार करने के लिए उसना मिलरों को धान दिया जा रहा है। हर जिले के लिए भी लक्ष्य विद्यर्धारित किया गया है। खाद्य अधिकारियों का कहना है कि बहुत जल्द ही सेंट्रल पूल के लिए उसना चावल जमा करने का काम शुरू हो जाएगा।
धान खरीदी की रफ्तार हुई तेज
छत्तीसगढ़ में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के दो महीने बीतने के बाद अब धान बेचते की रफ्तार बढ़ी है। सोमवार रात तक की स्थिति में इस दिन 78 हजार 663 किसनों ने 3 लाख 23 हजार 79 मीट्रिक टन धान बेवा है। अब तक उपार्जन केंद्रों में कुल मिलाकर 67 लाख 34 हजार 885 मीट्रिक टन धान की आवक हो चुकी है। राज्य में पूर्ववतीं कांवेस सरकार के समय 130 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य स्खा गया था। बाद में मजपा सरकार ने प्रति एकड़ 21 क्विंटल धान खरीदी का आदेश जारी किया। जानकारों का कहना है कि अब धान की आवक 155 लाख मीट्रिक टन तक हो सकती है।