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धमतरी जिले के सेमरा (सि) गांव में दीवाली पर्व की शुरुआत हो गई है। जहां आज की रात मां लक्ष्मी की पूजा और दूसरे दिन गोवर्धन पूजा हाेगी।

यशवंत गंजीर- कुरुद। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के सेमरा (सि) गांव में दीवाली पर्व की शुरुआत हो गई है। सप्ताह भर पहले त्योहार मना लेने के अपने वर्षों पुरानी परंपरा के अनुसार ही रात में गौरा जागरण की रस्म अदायगी के साथ आज की रात मां लक्ष्मी की पूजा और दूसरे दिन गोवर्धन पूजा हाेगी। पर्व के अवसर पर गांव में विविध कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है। 

In this way, worship is done according to rituals in the village
गांव में इस तरह से विधि- विधान से होती है पूजा 

पूरे देश मे दिवाली 31 अक्टूबर को मनाई जाएगी, लेकिन धमतरी जिला मुख्यालय से 35 किमी दूर भखारा तहसील के सेमरा-सी में पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार  ग्रामीण 24 अक्टूबर को लक्ष्मी पूजा और 25 अक्टूबर को गोवर्धन पूजा कर दीपोत्सव मनाएंगे। गौरा-गौरी की शोभायात्रा निकाली जाएगी। गांव में सुख-समृद्धि बनी रहे यही साेचकर यह परंपरा का निर्वहन किया जा रहा है। ग्रामीणों के मनोरंजन के लिए पर्व के दोनों दिन छत्तीसगढ़ी कार्यक्रम का भी आयोजन किया गया है। 24 अक्टूबर गुरुवार लक्ष्मी पूजा की रात कका भतीजा (सराईपाली) तथा 25 अक्टूबर को संगी जहुरिया नाचा पार्टी बिलईडबरी (बलौदाबाजार) का छत्तीसगढ़ी कार्यक्रम होगा। दीपावली पर्व मनाने के बाद यहां के ग्रामीण निर्धारित तिथि अनुसार धनतेरस व नरक चतुर्दशी में दीप जलाएंगे।

अनहोनी से बचने पहले ही ग्रामीण मना लेते हैं त्योहार

ग्रामीण कामता निषाद, उमेश देवांगन, गजेंद्र सिन्हा ने बताया कि, दीपावली के अलावा हरेली, होली, पोला कुल चार पर्व एक सप्ताह पहले मनाते हैं। सबसे पहले सिरदार देव की पूजा करते हैं। फिर त्योहार मनाते हैं। वैसे तो पर्व मनाने के पीछे कई कारण है। एक साथ त्योहार मनाने से अनहोनी घटनाएं होनी की आशंका रहती है। इसलिए पहले ही मना लेते हैं। परंपराओं के अनुसार बरसों से लक्ष्मी पूजा यानी दीपावली- गोवर्धन पूजा पहले और धनतेरस, नरक चतुर्दशी जब सभी गांव के लोग मनाते हैं, तब मनाया जाता हैं।

ग्राम देवता सिरदार को प्रसन्न करने की चली आ रही है परम्परा

इस गांव में आखिर ऐसी परंपरा कैसे शुरू हुई, किवदंती के अनुसार लगभग 1200 की जनसंख्या वाले इस गांव में सैकड़ों साल पहले एक बुजुर्ग आया और यहीं बस गया। उनका नाम सिरदार था, गांव वालों को उनमें आस्था थी। इसलिए ग्राम देवता के रूप में उनकी पूजा अर्चना की गई। उनके ही कहने पर चार प्रमुख त्योहारों को गांव वालों ने निर्धारित तिथि से एक सप्ताह पहले मनाने की शुरुआत की। तब से यह सिलसिला जारी है। जिसमे आसपास के गांवों के साथ साथ बालोद जिले के ग्राम अरकार, बोहारा, हसदा, भिरई, पलारी, डोटोपार, सनौद, पड़कीभाट, कोसाोंदी सहित 40 गांव के लोग सेमरा पहुंचते हैं। ग्रामीण सुधीर बल्लाल, चन्द्रहास, सिन्हा, पंडित ओमप्रकाश तिवारी, घनश्याम देवांगन आदि ने कहा कि, पूर्वजो के जमाने से चली आ रही परंपरा को आगे भी कायम रखेंगे।

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