अंगेश हिरवानी-नगरी। छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के नगरी ब्लाक का गांव भुरसीडोंगरी... यह छोटा सा गांव आज आधुनिक किसान अरुण सार्वा के नाम से जाना जाता है। वे सांकरा में अपने प्रगति का प्रतीक आलीशान मकान बनाकर समाज सेवा में लगे हुए हैं। उन्होंने अपनी मेहनत और लगन से करोड़ों का साम्राज्य खड़ा किया। अरुण सार्वा, जो कभी सीमित संसाधनों के साथ संघर्षरत किसान थे, अब न केवल एक सफल उद्यमी बन चुके हैं, बल्कि उन्होंने अपने गांव और विलुप्त प्रजाति माने जाने वाली कमार जनजाति के उत्थान में भी योगदान देकर समाज के लिए एक मिसाल पेश की है।
सपनों की शुरुआत, संघर्ष की गाथा
अरुण सार्वा का जन्म एक साधारण किसान परिवार में हुआ। सीमित जमीन और कम आय के बावजूद उनके मन में बड़े सपने थे। मैंने हमेशा महसूस किया कि मेहनत और सही दिशा में प्रयास से कुछ भी संभव है। हालांकि, शुरुआत में साधन और जानकारी की कमी के कारण कई बार असफलता का सामना करना पड़ा, अरुण कहते हैं। पहले अरुण परंपरागत खेती करते थे, जिसमें लाभ सीमित था। लेकिन उन्होंने टमाटर की खेती शुरू करके अपनी किस्मत बदलने का फैसला किया। शुरू में परिवार और गांव के लोग मेरी योजना से सहमत नहीं थे। लेकिन मैंने जोखिम लिया और नतीजे ने मेरी उम्मीदों से ज्यादा दिया, उन्होंने बताया।
धमतरी जिले - नगरी ब्लाक का गांव भुरसीडोंगरी में आधुनिक किसान अरुण सार्वा के पास सीमित जमीन और कम आय के बावजूद उनके मन में बड़े सपने थे। मैंने हमेशा महसूस किया कि मेहनत और सही दिशा में प्रयास से कुछ भी संभव है. @DhamtariDist #Chhattisgarh #CGNews #farmers pic.twitter.com/0xGlD7W7bg
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टमाटर की खेती से बनी सफलता की इमारत
अरुण ने परंपरागत खेती के साथ आधुनिक तकनीकों को जोड़ा। उन्होंने उन्नत बीजों, सिंचाई की आधुनिक विधियों और वैज्ञानिक खेती की मदद से अपनी पैदावार बढ़ाई। मैंने बाजार की मांग को समझा और गुणवत्तापूर्ण फसल पर ध्यान दिया, अरुण कहते हैं। कुछ ही वर्षों में उन्होंने अपनी टमाटर की खेती को इतना विस्तार दिया कि, उनकी वार्षिक आय करोड़ों रुपये तक पहुंच गई। आज अरुण सांकरा और आसपास के गांवों में 'सफल किसान' के नाम से जाने जाते हैं। हाल ही में अरुण ने अपनी इस मेहनत से गांव में करोड़ों की लागत से एक आलीशान घर बनाया है, जो उनकी सफलता का प्रतीक है।
सामाजिक बदलाव के वाहक
अरुण सार्वा की सफलता केवल उनके जीवन तक सीमित नहीं रही। उन्होंने अपने लाभ का एक बड़ा हिस्सा समाज के उत्थान में लगाया। "मैं हमेशा मानता हूं कि किसी की सफलता तभी सार्थक है, जब वह समाज के लिए कुछ करे," अरुण ने कहा।
उन्होंने कमार जनजाति के विकास के लिए कई महत्वपूर्ण पहलें कीं-
शिक्षा: उन्होंने कमार जनजाति के बच्चों के लिए स्कूल जाने की व्यवस्था की। स्वास्थ्य: उन्होंने समुदाय को मुफ्त स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए गांव में चिकित्सा शिविर आयोजित किए।
रोजगार: उन्होंने युवाओं को आधुनिक खेती और स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया। अरुण बताते हैं, कमार जनजाति हमारी सांस्कृतिक धरोहर है। उनकी मदद करना मेरा कर्तव्य है।
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चुनौतियों को पार करने की प्रेरणा
अरुण सार्वा का सफर बिना चुनौतियों के नहीं रहा। उन्हें कई बार आर्थिक तंगी और बाजार की अनिश्चितताओं का सामना करना पड़ा। "हर बार जब मैं असफल हुआ, मैंने अपनी गलतियों से सीखा। मेहनत कभी विफल नहीं होती," वे मुस्कुराते हुए कहते हैं। उनकी सफलता के पीछे उनकी पत्नी और परिवार का भी बड़ा योगदान रहा। "मेरे परिवार ने मुझे हमेशा प्रोत्साहित किया और मेरी ताकत बना," वे बताते हैं।
भविष्य की योजनाएं और नई पीढ़ी के लिए संदेश
अरुण अब अपनी खेती को और आधुनिक बनाना चाहते हैं। वे गांव में एक कृषि प्रशिक्षण केंद्र खोलने की योजना बना रहे हैं, ताकि अन्य किसान भी उनकी तकनीकों से लाभान्वित हो सकें। "मैं चाहता हूं कि हर किसान आत्मनिर्भर बने और हमारे गांव के युवा बड़े सपने देखें," अरुण कहते हैं।
अरुण सार्वा: एक प्रेरणा
अरुण सार्वा की कहानी बताती है कि, साधारण शुरुआत भी असाधारण सफलता में बदल सकती है। उनके संघर्ष, समर्पण और सामाजिक जिम्मेदारी ने उन्हें केवल एक सफल किसान ही नहीं, बल्कि एक आदर्श इंसान भी बनाया है। उनकी यह यात्रा हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद बड़े सपने देखता है। अरुण सार्वा की कहानी एक बार फिर यह साबित करती है कि मेहनत और सही दृष्टिकोण से कुछ भी हासिल किया जा सकता है।