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आयकर विभाग ने इस वर्ष 31 जनवरी को पूर्व मंत्री अमरजीत भगत और उनसे जुड़े कारोबारी और अन्य संबंधित लोगों के यहां छापे की कार्रवाई की थी। 

■ छापे की कार्रवाई में आईटी अफसरों ने जमीन खरीदी के दस्तावेज जब्त

■ मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर बड़े पैमाने पर जमीन खरीदी करने में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया

रायपुर। पूर्व मंत्री अमरजीत भगत की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं। अमरजीत के यहां दो माह पूर्व आयकर विभाग द्वारा की गई छापे की कार्रवाई के आधार पर आयकर विभाग के प्रधान निदेशक कार्यालय ने राज्य के मुख्य सचिव तथा पुलिसम हानिदेशक को पत्र लिखकर बड़े पैमाने पर जमीन खरीदी करने में गड़बड़ी करने का आरोप लगाया है। उन पर बांग्लादेश के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए बनी सरकारी जमीन हड़पने का आरोप है। आयकर विभाग ने इसे संज्ञेय अपराध बताते हुए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए पत्र लिखा है।

गौरतलब है कि, आयकर विभाग ने इस वर्ष 31 जनवरी को अमरजीत भगत तथा उनसे जुड़े कारोबारी और अन्य संबंधित लोगों के यहां छापे की कार्रवाई की थी। छापे की कार्रवाई में आईटी अफसरों ने जमीन खरीदी के दस्तावेज जब्त किए थे। जब्ती के आधार पर आयकर विभाग ने पूर्व मंत्री भगत के खिलाफ विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर जिले में आए बांग्लादेश के शरणार्थियों के पुनर्वास के लिए बनी सरकारी जमीन पर कब्जा कर संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाया है।

भेजा 35 पन्नों का पत्र

पूर्व मंत्री के जमीन कब्जा करने के मामले को लेकर आयकर विभाग ने मुख्य सचिव तथा पुलिस महानिदेशक को 35 पन्नों का एक गोपनीय पत्र भेजे जाने की जानकारी सामने आई है। पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि बांग्लादेश से आए शरणार्थियों को अंबिकापुर के सुभाष नगर क्षेत्र में और उसके आसपास जमीन आवंटित की गई थी। इन जमीनों को भूमि अभिलेखों के अनुसार' पुनर्वास पट्टा' जिसे स्थानीय बोलचाल में बंगाली पट्टा के नाम से जाना जाता है। उसी जमीन की खरीदी बिक्री में फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया गया है।

सिंडिकेट बनाकर फर्जीवाड़ा

जमीन फर्जीवाड़ा करने के मामले को लेकर आयकर विभाग ने जो पत्र लिखा है, उस पत्र में इस बात का उल्लेख किया गया है कि तत्कालीन मंत्री अमरजीत भगत से निकटता के कारण एक कारोबारी ने जिला कलेक्टर से अनुमति प्राप्त कर बहुत कम कीमत पर बंगाली पट्टा खरीदने का सिंडिकेट चलाया। बाद में उन्हीं बंगाली पट्टा को भगत के रिश्तेदारों सहित अन्य व्यक्तियों को बहुत अधिक प्रीमियम कीमतों पर बेच दिया गया।

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