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मुंगेली कलेक्टर ने पिछले महीने 15 जुलाई को 22 लोगों का मेडिकल संभागीय बोर्ड से कराने का आदेश दिया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसा नहीं हो सका। 

बिलासपुर। मुंगेली जिले के लोरमी ब्लाक के सारधा, लोरमी, सुकली, झाफल, फुलझर, विचारपुर,  बोड़तरा गांव के लोगों के बने सभी दिव्यांग प्रमाण-पत्रों पर सवाल उठ रहे हैं। हरिभूमि ने इस बारे में खबर छापी तो प्रशासन से लेकर मेडिकल और दूसरे विभागों में हड़कंप मचा है। महीनों तक मामलों को दबाकर रखने वाले अधिकारी अब गंभीरता से जांच की बात कह रहे हैं। आनन फानन में ज्वाइंट कमेटी की बैठक सोमवार 12 अगस्त को मुंगेली कलेक्टोरेट में बुलाई गई है।   इस कमेटी में अपर कलेक्टर निष्ठा पांडे, ज्वाइंट कलेक्टर मेनका प्रधान के साथ सीएमएचओ, कृषि विभाग, स्कूल विभाग के अधिकारी शामिल होंगे। 

इस पूरे मामले में एक और खास बात जो निकलकर सामने आई है कि मुंगेली कलेक्टर ने पिछले महीने 15 जुलाई को 22 लोगों का मेडिकल संभागीय बोर्ड से कराने का आदेश दिया था, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत से ऐसा नहीं हो सका। बता दिया कि मशीन, जिसे ब्रेन स्टेन इवोक्ड रिस्पोंस आडियोमेट्री (बैरा) कहते हैं खराब हो गई है। हाल यह है कि एक महीने बाद भी मशीन नहीं सुधर सकी है। शासन की कई योजनाओं सहित शासकीय नौकरी में भी दिव्यांगों को वरीयता दी जाती है। इसके लिए संभाग स्तर मेडिकल बोर्ड द्वारा कड़ी जांच के बाद ही दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं। 

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 श्रवणबाधित दिव्यांगता केद्वारा कड़ी जांच के बाद ही दिव्यांगता प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं। श्रवणबाधित दिव्यांगता के मामलों में मेडिकल बोर्ड के विशेषज्ञ सीधे भौतिक परीक्षण से बहरेपन का पता नहीं लगा पाते हैं। इसी का फायदा कुछ गिरोह वाले उठा रहे हैं जो फर्जी प्रमाण पत्र लगातार बना रहे हैं। खास तौर पर बिलासपुर, मुंगेली, जांजगीर से अधिकांश श्रवणबाधित बने हैं। एक गांव के एक ही वर्ग से एक साथ इतने सफल अभ्यर्थियों के श्रवणबाधित होने पर लंबे समय से सवाल विकलांग संघ उठा रहा है लेकिन जांच और कार्रवाई दूर की बात है।

बोल दिए मशीन खराब है, ठीक भी नहीं होगी

हरिभूमि ने इस पूरे मामले की पड़ताल की तो कुछ ऐसे अभ्यर्थी भी सामने आ गए जिन्होंने कृषि विस्तार अधिकारी और कुछ साल पहले हुई पटवारी परीक्षा में खुद को श्रवणबाधित बताकर फार्म भरा, जबकि अन्य दूसरी परीक्षाओं में खुद को पूरी तरह फिट बताया है। प्रदेश विकलांग संघ लगातार इसका विरोध करते हुए शिकायत कर रहा है। मुंगेली कलेक्टर ने इसका संज्ञान लिया और 15 जुलाई 2024 को 22 लोगों का मेडिकल संभागीय बोर्ड से कराने का आदेश दिया। इसकी पूरी सूची और उन अभ्यर्थियों के नाम हरिभूमि के पास है। इन 22 लोगों का मेडिकल संभागीय मुख्यालय बिलासपुर सिम्स में होना था। लिस्ट जारी होते ही फर्जीवाड़ा करने वाले गिरोह के लोग सक्रिय हो गए। इससे पहले कि मेडिकल हो पाता सिम्स की ओर से बता दिया गया कि मशीन खराब हो गई है, इसलिए किसी प्रकार का टेस्ट नहीं हो पाएगा। यह भी कह दिया गया कि हाल-फिलहाल इसके ठीक होने की कोई उम्मीद भी नहीं है। इसके बाद से इन फर्जी लोगों का मेडिकल कराने का मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

अब राज्य मेडिकल बोर्ड में होगा टेस्ट

गौरतलब है कि,  मुंगेली जिले के लोरमी विकासखंड के 7 गांव ऐसे हैं, जहां पिछले 10 सालों में 300 से अधिक लोग बहरे हो गए हैं। इनमें से 147 लोग श्रवण बाधित कान के दिव्यांग प्रमाण पत्र बनवाने के बाद सरकारी नौकरी भी कर रहे हैं। यही नहीं इन गांवों में पता नहीं ऐसी कौन सी महामारी है कि मां-बाप और बच्चों के साथ विवाह के बाद दूसरे गांव या जिलों से बहू बनकर आने वाली महिलाएं भी श्रवण बाधित हो जाती हैं। खास बात यह भी है कि इनमें से अधिकतर का सरनेम राजपूत, राठौर और सिंह है। हरिभूमि ने इस बारे में 11 अगस्त को खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद से प्रशासनिक अमला हरकत में आता दिख रहा है। मुंगेली की ज्वाइंट कलेक्टर मेनका प्रधान ने बताया कि सोमवार को कमेटी की बैठक बुलाई गई है। इसमें तय किया जाएगा कि जिनके खिलाफ भी शिकायत हैं उनके श्रवण बाधित सर्टिफिकेट की गहनता से जांच हो और उनका राज्य मेडिकल बोर्ड में टेस्ट कराया जाए।

कृषि विभाग में हुई सबसे अधिक भर्ती

लोरमी ब्लाक के सारधा, लोरमी, सुकली, झाफल, फुलझर, विचारपुर, बोड़तरा गांव के लोगों के बने सभी दिव्यांग प्रमाण- पत्रों पर सवाल उठ रहे हैं। बात सामने आई है कि अकेले 53 लोग कृषि विभाग में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं। वहीं तीन लोग कृषि शिक्षक के पद पर काबिज हैं। ध्यान रहे राज्य शासन की ओर से दिव्यांगों की विशेष भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया गया था। सबसे पहले ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी पद के लिए भर्ती हुई।  इसमें जमकर फर्जीवाड़ा किया गया। जिनकी नियुक्ति हुई उनमें से अधिकांश लोगों ने श्रवण बाधित होने का फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र पेश किया है। इसके साथ ही वर्तमान में पीएससी से सलेक्ट होकर 7 डिप्टी कलेक्टर, 3 नायब तहसीलदार, 3 लेखा अधिकारी, 3 पशु चिकित्सक, 2 सहकारिता निरीक्षक सहित 21 लोग फर्जी दिव्यांग प्रमाण-पत्र लगाकर सरकारी नौकरी कर रहे हैं।

समन्वयक बनाकर कराएंगे टेस्ट

मुंगेली के ज्वाइंट कलेक्टर मेनका प्रधान ने बताया कि, विकलांग संघ की ओर से मिली शिकायत के बाद मुंगेली कलेक्टर ने पत्र जारी कर 15 जुलाई 2024 को 22 लोगों की जांच मेडिकल संभागीय बोर्ड से कराने का आदेश दिया था। टेस्ट नहीं हो पाया क्योंकि मशीन खराब होने की जानकारी सिम्स की ओर से दी गई थी। मामला गंभीर है इसलिए सो

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