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आचार्य की समाधि स्थल में लगभग 4 एकड़ में चंद्रगिरी ट्रस्ट समिति के देखरेख में आरके मार्बल के संचालक अशोक पाटनी ने करोड़ों की लागत से मंदिर की स्थापना की जाएगी।

डोंगरगढ़ /राजनांदगांव। आचार्यश्री को रविवार के दिन दोपहर 1.00 बजे देशभर में एक साथ दिव्यांजलि दी गई। इस मौके पर आरके मार्बल के संचालक अशोक पाटनी ने डोंगरगढ़ स्थित चंद्रगिरी तीर्थ क्षेत्र में आचार्यश्री विद्यासागर जी की समाधि स्थल में ही करीबन चार एकड़ इलाके में करोड़ों की लागत से मंदिर बनाने की भी घोषणा की है। कार्यक्रम के माध्यम से जैन धर्म की प्रमुख पुस्तक नमोकार भारती भाग-2 का विमोचन भी किया गया। कुंडलपुर जैन ट्रस्ट समिति के पदाधिकारियों ने विधिवत मुनि समय सागर सहित अन्य मुनियों को भी कुंडलपुर पहुंचने का निमंत्रण दिया। 

मिली जानकारी के अनुसार, आचार्यश्री की समाधि स्थल का 25 फरवरी को सुबह 7 बजे से श्रावण श्रेष्ठी अशोक पाटनी द्वारा भूमिपूजन किया गया। तत्पश्चात सुबह 8 बजे से भगवान का अभिषेक, शांतिधारा, पूजा आरती के बाद दोपहर 1 बजे से विनयांजलि का कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। जिसमें विश्व से आए महानुभावों एवं श्रावकों ने आचार्यश्री को भावभीनी विनयांजलि समर्पित किया।

बड़ी संख्या में संत रहे उपस्थित

कार्यक्रम में आचार्य मुनि समय सागर एवं योग सागर, प्रसाद सागर, चंद्रप्रभु सागर, पुष्प सागर, निशांकय सागर, महासागर, समता सागर की उपस्थिति में एक मिनट का मौन धारण कर आचार्य विद्यासागर महाराज जी को श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम में विनोद जैन बिलासपुर, सरेशचंद जैन दुर्ग, सेठ सिंघाई किशोर जैन, अंशुल जैन दुर्ग, विनोद बढ़जात्या, निर्मल जैन, चंद्रकांत जैन, सुकुमाल जैन सहित समस्त जैन समाज के प्रमुख पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता भी उपस्थित रहे।

ट्रस्ट की देखरेख में बनेगा मंदिर

कार्यक्रम के माध्यम से जैन धर्म की प्रमुख पुस्तक नमोकार भारती भाग-2 का विमोचन भी किया गया। साथ ही ट्रस्ट समिति के अध्यक्ष किशोर जैन ने बताया कि आचार्य की समाधि स्थल में लगभग 4 एकड़ में चंद्रगिरी टस्ट समिति के देखरेख में आरके मार्बल के संचालक अशोक पाटनी द्वारा करोड़ों की लागत से मंदिर की स्थापना की जाएगी।

आचार्यों ने साझा किए आचार्य के साथ का समय

विभिन्न सामाजिक संस्था के पदाधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं आचार्यों ने आचार्य के आदर्श, विचारों, बिताए गए क्षणों व उनके दिए गए प्रवचनों के क्षणों को भी रखा, जहां इस पूरे क्षण में भावुकता के माहौल में लोगों की नम आंखे प्रबुद्धजनों की बातों के साथ बंध भी गई थी। वहीं बीच-बीच में स्वागत सत्कार व आचार्यों की अगुवाई तथा ताली की गड़गड़ाहट ने लोगों के उदास मन को संजोने में अपनी भूमिका दिखाई।

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