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बलौदाबाजार स्थित मां डोंगरदेवी का मंदिर विशेष महत्व रखता है। घने जंगलों के बीच स्थित यह मंदिर पयर्टन की दृष्टि से भी काफी महत्वपूर्ण है। 

कुश अग्रवाल-बलौदाबाजार। बलौदाबाजार जिले के पलारी तहसील से 25 किमी दूर महानदी के तट पर मां डोंगरदेवी का मंदिर स्थित है। बलौदाबाजार, महासमुंद  और रायपुर तीन जिले की सीमा को छूता यह ऐतिहासिक मंदिर महानदी के तट पर प्राकृतिक सौंदर्य  से घिरा है। यह मंदिर श्रद्धालुओं के लिए आस्था का एक बड़ा केंद्र है। हर साल चैत्र और क्वांर नवरात्रि के अवसर पर दर्शनार्थियों का तांता लगा रहता है। भक्तों का मानना है कि, मां डोंगरदेवी के दरबार में सच्चे मन से मांगी गई मन्नत पूरी होती है। 

बता दें कि,  इस मंदिर में कोसम पेड़ के खोह से निकली मां डोंगरदेवी और काले ग्रेनाइट पत्थर से बनी भगवान विष्णु की बहुत ही पुरानी प्रतिमा स्थापित है। यह स्थान धार्मिक आस्था और देवी शक्ति उपसाना के लिए प्रसिद्ध है। मान्यता है कि, 125 साल पहले गांव मलपुरी के मालगुजार बालकृष्ण अग्रवाल को माता ने स्वप्न में दर्शन देकर इस स्थान के बारे में बताया था। 

प्रज्वलित की गई 12 सौ ज्योति कलश

 जब उन्होंने महानदी के किनारे इस छोटे से टीले की खुदाई की। इस दौरान उन्हें ग्रेनाइड से बनीं भगवान विष्णु की प्रतिमा मिली और एक पेड़ के अंदर खोह में देवी की प्रतिमा मिली। प्रतिमा स्थापना के बाद से मंदिर में पूजा-अर्चना की शुरुआत हुई। हर साल नवरात्र के अवसर पर ज्योति कलश स्थापना कर विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस वर्ष यहां पर 12 सौ मनोकामना ज्योति प्रज्वलित की गई है। 

यहां पर सिर्फ तेल से ही जलाई जाती है ज्योत 

गांव के बुजुर्ग और प्रमुख ट्रस्टी किशोर वैष्णव ने मंदिर निर्माण के पीछे की कहानी बताई। उन्होंने कहा कि, उस समय यह स्थान चारों तरफ से नदी-नालों और घने जंगलों से घिरा हुआ था। यहां तक पहुंच पाना बेहद कठिन था। ग्रामीणों ने खुद श्रमदान कर  यहां तक पहुंचने का रास्ता और मंदिर का निर्माण करवाया। यहां  के ट्रस्टी ने इस मंदिर को लेकर एक और दिलचस्प बात बताई कि, यहां पिछले 25 सालों से घी का ज्योत नहीं जलाया गया है सिर्फ तेल से ही ज्योति जलाई जाती है। 

भगवान विष्णु की प्राचीन प्रतिमा बहुत कम जगहों पर उपलब्ध है

इसके अलावा इस मंदिर परिसर में शेषनाग के सिंहासन में बैठे भगवान विष्णु की दूसरी शताब्दी की प्रतिमा भी स्थापित है जो टीले की खुदाई में निकली थी। आज भी यह प्रतिमा गर्भगृह में वैसे ही स्थिति में है, जैसे खुदाई में निकला था। पुजारी बताते हैं कि, पूरे विश्व में विष्णु की प्राचीन प्रतिमा कम ही जगह के मंदिरों में है। बारिश के दिनों में महानदी में बाढ़ आ जाने से यह पूरा क्षेत्र जलमग्न हो जाता है।

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यह स्थान पर्यटन की दृष्टि से बहुत ही विशेष है

समिति के सदस्य हिम्मत लाल चंद्राकर का कहना है कि, डोंगरदेवी पहुंच मार्ग का निर्माण और मंदिर स्थल का सौंदर्यीकरण करने यदि प्रशासन और जनप्रतिनिधि रुचि दिखाए तो यह स्थल पर्यटन की दृष्टि से जिले में विशेष स्थान हासिल कर सकता है।
 

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