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सीजीएमएससी में हुए अरबों के घोटाले के सूत्रधार मोक्षित कार्पोरेशन के बाद सहयोगी कंपनियों को भी ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। 

रायपुर। सीजीएमएससी में हुए अरबों के घोटाले के सूत्रधार मोक्षित कार्पोरेशन के बाद सहयोगी कंपनियों को भी ब्लैक लिस्टेड कर दिया गया है। इनमें से दो कंपनियों के खिलाफ नामजद रिपोर्ट थाने में ईओडब्लू द्वारा दर्ज कराई गई थी। काली सूची शामिल की गई तीसरी शेल कंपनी थी। दवा निगम द्वारा कुछ और कंपनियों पर आगे भी कार्रवाई किए जाने की संभावना है। घोटाला सामने आने के बाद सीजीएमएससी की एमडी ने पुरानी लापरवाही और अनुबंध को तोड़ने तथा आपराधिक मामले में अपराध दर्ज होने की वजह से मोक्षित कार्पोरेशन को तीन साल के लिए ब्लैक लिस्टेड कर दिया था। 

कंपनी इस अवधि में दवा कारपोरेशन के किसी भी टेंडर में भागीदारी नहीं कर पाएगी। इसके बाद दवा कार्पोरेशन द्वारा मोक्षित की सहयोगी तथा रीएजेंट और उपकरण की सप्लाई के नाम पर कई सौ करोड़ का घोटाला करने वाली सहयोगी कंपनी पर भी कार्रवाई की है। ईओडब्लू ने जनवरी के अंतिम दिनों में छापेमारी के दौरान पंचकूला हरियाणा के रिकार्डर्स एंड मेडिकेयर, धरसींवा के ग्राम तर्रा स्थित शारदा इंडस्ट्रीज में छापेमारी की थी। इन कंपनियों के पास दवा अथवा उपकरण बनाने किसी तरह के संसाधन नहीं थे। इसके साथ ही सीजीएमएससी से शंकरनगर स्थित मेडिग्लोब मेडिकल सिस्टम प्रायवेट लिमिटेड को भी बाहर का रास्ता दिखाया गया है। इस कंपनी के भी मोक्षित के सहयोग के लिए बनाई गई शेल कंपनी होने का जिक्र है। एफआईआर में एक और कंपनी सीबी कार्पोरेशन का जिक्र है, जो दुर्ग में स्थित है इस कंपनी को भी शीघ्र ब्लैक लिस्ट में शामिल किए जाने की संभावना है।

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अफसरों से पूछताछ जारी 

इधर दूसरी बार रिमांड पर लिए मोक्षित कार्पोरेशन के एमडी शशांक चोपड़ा से मिल रही जानकारी के आधार पर ईओडब्लू मिलीभगत के आरोपों से घिरे अधिकारियों से लगातार पूछताछ कर रही है। मामले में कुछ आईएएस स्तर के अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लाए जाने की संभावना बनी हुई है। मोक्षित कार्पोरेशन के एमडी को 10 फरवरी को पुनः न्यायालय में पेश किया जाएगा।

कंपनी पर अफसरों की मेहरबानी 

दवा कार्पोरेशन से जुड़े अधिकारी मोक्षित कार्पोरेशन के ऊपर काफी मेहरबान थे। उन्होंने 300 करोड़ का रीएजेंट केवल इसलिए खरीदा था, क्योंकि वह खराब होने की स्थिति में आ गए थे। रीएजेंट के खराब होने से सप्लायर कंपनी को बड़ा नुकसान हो सकता था। अफसरों ने यह रीएजेंट खरीदा और उसे बिना मांग के 200 स्वास्थ्य केंद्रों में ठूंस दिया था।

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