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फर्जी लेनदेन मामले में हाईकोर्ट ने आयकर विभाग के साथ राज्य सरकार द्वारा की जा रही लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है।

बिलासपुर। यस बैंक में अवैध खाता खुलवाकर 165 करोड़ रुपए के फर्जी लेनदेन मामले में हाईकोर्ट ने आयकर विभाग के साथ राज्य सरकार द्वारा की जा रही लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई है। हाईकोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार के डीआरआई विभाग से जांच कराए जाने के लिए उसे भी पक्षकार बनाने कहा है। इसके लिए याचिकाकर्ता कोर्ट के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करेगा। अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी। सुनवाई के दौरान ईडी के वकील सौरभ पांडे ने कहा कि यदि कोर्ट निर्देशित करें तो प्रवर्तन निदेशालय भी मामले की जांच करेगा। याचिकाकर्ता की ओर से कहा गया कि आयकर विभाग ने भी जो बातें अभी तक कोर्ट को बताई हैं वह 2022 की ही हैं।

शपथ पत्र के साथ पेश होगी लेनदेन की संपूर्ण जानकारी

शासन के महाअधिवक्ता प्रफुल्ल कुमार भारत ने बताया कि अब तक कई लोगों के बयान लिए गए हैं। प्रवर्तन निदेशालय के द्वारा भी जांच संभव है। यह भी स्पष्ट नहीं है कि खाते में पैसे कहां से आए और किसको-किसको दिए गए हैं। अनिमेष सिंह एक साधारण कर्मी था। उसके नाम के खाते में आरटीजीएस के माध्यम से अधिकांश लेनदेन हुआ है। इसके बाद कोर्ट के समक्ष यह जानकारी दी गई कि सिर्फ अनिमेष सिंह के नाम से ही नहीं बल्कि भावेश ताम्रकार के नाम से भी लेनदेन किए गए हैं।

बीसी खिलाना भी तो अवैध ही

बुधवार को इस मामले में सुनवाई के दौरान आयकर विभाग की ओर से कहा गया कि पूर्व में वीरेंद्र पांडे के माध्यम से एक शिकायती पत्र उन्हें मिला था। उसके पश्चात दुर्ग जिले के लोकसभा सांसद विजय बघेल की शिकायत पर प्रधानमंत्री कार्यालय से जांच करने और करों के निर्धारण करने हेतु एक पत्र प्राप्त हुआ  है। आयकर विभाग ने वर्ष 2016-17 से लेकर वर्ष 2019-20 तक खाते की संपूर्ण जांच करने के पश्चात भारी अनियमितता पाई। साथ ही 20 बार अलग-अलग व्यक्तियों को समंस देकर जांच के लिए बुलाया गया। विभाग ने हितेश चौबे को बुलाकर भी बयान दर्ज किया है। आयकर विभाग के अनुसार अनिमेष सिंह बीसी खिलाने और प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करता था। सारी रकम इसी प्रकार से उसके खाते में आई है। इस पर कोर्ट ने कहा कि बीसी खेलना और खिलाना भी आखिर एक अवैधानिक कृत्य है।
 

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