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30 नक्सलियों ने मंगलवार को पुलिस के आला अफसरों के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। वर्ष 2024 में अब तक 76 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। 

बीजापुर। नक्सल विचारधारा से क्षुब्ध और सरकार की आत्मसमर्पण तथा पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर 39 लाख इनाम के 9 नक्सलियों समेत 30 नक्सलियों ने मंगलवार को पुलिस के आला अफसरों के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। वर्ष 2024 में अब तक 76 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है। वहीं 180 नक्सलियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया हैं।

पुलिस के मुताबिक,  जिले में चलाए जा रहे नक्सल उन्मूलन अभियान के दौरान डीआरजी, बस्तर फाइटर, एसटीएफ, सीआरपीएफ व कोबरा द्वारा किये जा रहे संयुक्त प्रयासों व छत्तीसगढ़ शासन की पुनर्वास व आत्म समर्पण नीति से प्रभावित होकर मिलिट्री कंपनी नंबर 2 पीपीसीएम 8 लाख की इनामी नक्सली मिटकी ककेम उर्फ सरिता , प्लाटून नम्बर 32 पीपीसीएम 8 लाख की इनामी नक्सली मुरी मुहंदा उर्फ सुखमति ,प्लाटून नंबर 4 सदस्य 5 लाख की इनामी नक्सली रजिता वेट्टी उर्फ रामे , प्लाटून नम्बर 32 सदस्य 5 लाख के इनामी नक्सली देवे कोवासी , बटालियन नंबर 1 सदस्य 5 लाख के इनामी नक्सली सीनू पदम उर्फ चिन्ना , प्लाटून नम्बर 32 सदस्य 5 लाख के इनामी नक्सली आयता सोढ़ी , डुमरीपालनार आरपीसी जनताना सरकार अध्यक्ष 1 लाख के इनामी नक्सली आयतु कारम, पालनार आरपीसी जनताना सरकार अध्यक्ष 1 लाख के इनामी मुन्ना हेमला उर्फ चंदू, मिलिशिया प्लाटून कमाण्डर लखमू पल्लो उर्फ लखु और कई  नक्सलियों ने  बीजापुर पुलिस अधीक्षक व अन्य आला अफसरों के समक्ष आत्म समर्पण कर दिया है।

नक्सलियों द्वारा बंदूक छोड़ना हर्ष का विषय : साय

रायपुर। प्रदेश की विष्णु सरकार द्वारा लाई गई आत्मसमर्पण नीति से प्रभावित होकर लगातार नक्सली बंदूक छोड़कर समाज की मुख्य धारा में लौट रहे है। बीजापुर जिले में 30 नक्सलियों द्वारा आत्मसमर्पण किए जाने पर मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने खुशी जताई है। उन्होंने आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों के पुनरुत्थान के लिए कार्य करने की बात कही है। अपने सोशल मीडिया हैंडल एकस पर उन्होंने लिखा है कि अत्यंत हर्ष का विषय - है कि माओवादियों की विचारधारा से क्षुब्ध होकर और छत्तीसगढ़ शासन की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति से प्रभावित होकर 30 माओवादियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण किया है। इनमें से कई ईनामी माओवादी भी रहे हैं। माओवाद के काले साये से रक्षा के लिए हमारी सरकार हरसंभव और हर स्तर पर लड़ाई लड़ रही है। इस माओवाद के कुचक्र में फंस चुकी बस्तर की आम आदिवासी जनता भी अब पुनः मुख्यधारा में आने का प्रयास कर रही है, जो स्वागतेय है। हमारी सरकार नक्सलवाद का दामन छोड़ मुख्यधारा में आने वाले इन आदिवासियों के पुनरुत्थान के लिए तत्पर है।


 

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