रायपुर। आठ बार के विधायक और प्रदेश के शिक्षा मंत्री, रायपुर लोकसभा के प्रत्याशी बृजमोहन अग्रवाल का कहना है, कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है। चाहे वो भूपेश बघेल हों, ताम्रध्वज साहू हों या फिर विकास उपाध्याय, इनमें से कोई भी चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे। पार्टी ने इन सभी पर चुनाव थोपने का काम किया है। कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ में तो अब समाप्त होने की तरफ है और देश में कांग्रेस डूबता हुआ जहाज है। इसलिए सभी पार्टी छोड़कर भाजपा में आ रहे हैं। पेश हैं हरिभूमि-आईएनएच न्यूज के प्रधान संपादक डॉ. हिमांशु द्विवेदी के मंत्री बृजमोहन अग्रवाल से चुनावी संवाद में बातचीत के अंश।
■ बृजमोहन अब लोकसभा के प्रत्याशी हो गए, लोग जो आ रहे हैं, वो क्या कहने के लिए आ रहे हैं?
■ पहले भी कई बार ऐसे कयास चले कि मैं लोकसभा का चुनाव लड़ें। मुझे लगता है कि 2013 के चुनाव में तो मुझे लगभग लोकसभा का प्रत्याशी बनाना तय कर लिया गया था, वो भी महासमुंद से, लेकिन मैं चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन अब मुझे रायपुर लोकसभा का प्रत्याशी बनाया गया है। मैं पार्टी का एक कार्यकर्ता हूं, मुझे पार्टी से जो निर्देश मिलते हैं, उसका मैं पालन करता हूं। लोग मुझे 8 बार से विधायक के रूप में देख रहे हैं, पांच बार से मंत्री के रूप में देख रहे हैं। कार्यकर्ता ज्यादातर लोकसभा, विधानसभा में अंतर नहीं समझते हैं। कार्यकर्ताओं को लगता है कि भैया अब तो दिल्ली चले जाएंगे, हमारा क्या होगा? जो समझदार हैं, उनको लगता है, भैया को अब बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी। मैंने सात चुनावों में लोकसभा का संचालन किया है, यह चुनाव भी मेरे लिए नया नहीं है। मुझे भी ऐसा लगता है कि विधानसभा और लोकसभा में कोई ज्यादा अंतर नहीं है।
■ आपके चाहने वाले आपको सीएम के तौर पर देखना चाहते थे, उनके अरमान तो पूरे नहीं हुए और अब बृजमोहन जी दिल्ली का रास्ता पकड़ रहे हैं, बेचैनी तो हो रही होगी
■ बेचैनी नहीं है, लोग ये मानते हैं, बृजमोहन जहां रहेंगे, जैसे भी रहेंगे, वे अपने तरीके से ही काम करेंगे। जनता का प्रेम मेरे लिए सबसे बड़ा है। लोग चुनाव लड़ते हैं, उनके प्रति प्रेम कम हो जाता है, लेकिन मेरे लिए जनता का प्रेम लगातार बढ़ता रहा है।
■पार्टी को ऐसी क्या जरूरत पड़ गई जो बृजमोहन जी को दिल्ली भेजना पड़ रहा है, सुनील सोनी का टिकट काट दिया गया?
■ पूरे देश में मोदी जी के प्रति वातावरण है, इस बार 400 सीटें पार करना है। छत्तीसगढ़ की राजधानी की सीट से एक हवा और वातावरण बनता है। मुझे लगता है, पार्टी ने जो नरेंद्र मोदी को फिर से प्रधानमंत्री बनाने और 400 पार सीटों का लक्ष्य रखा है, उसके कारण मुझे मैदान में उतारा है।
■ विधानसभा में 68 हजार मतों से जीतने ने तो कहीं दिल्ली जाने के लिए बाध्य नहीं कर दिया?
■ बाध्य नहीं किया है, सब रणनीति के तहत किया जा रहा है। विधानसभा चुनाव में सांसदों को चुनाव लड़वाया गया। अब लोकसभा चुनाव में विधायकों को चुनाव लड़वाया जा रहा है। पार्टी को जब जिनकी जो उपयोगिता समझ आती है, उसके हिसाब से पार्टी निर्णय करती है।
■आपको नहीं लगता है कि पार्टी ने फैसला लेने में थोड़ी देर कर दी, अगर दिल्ली ही भेजना था तो थोड़ा पहले फैसला करते?
■ मैं कभी इस मामले में विचार नहीं करता हूं। पार्टी ने जो फैसला किया है, सोच-समझकर ही किया होगा।
▶ पहले लोकसभा का चुनाव लड़वाते थे, अब लड़ रहे हैं, क्या फर्क देखते हैं?
▶ विधानसभा चुनाव लड़ता रहा हूं तो लड़ने में कोई दिक्कत नहीं है। लड़ने और लड़वाने में अंतर यह होता है कि लड़वाते हैं तो रणनीति बनाते हैं, लेकिन जब लड़ते हैं तो उसके लिए एक योद्धा के रूप में भी मैदान में उतरना रहता है। अब रणनीति भी बना रहे हैं और एक योद्धा के रूप में भी मैदान में हैं।
▶ कांग्रेस के विकास उपाध्याय मैदान में हैं, ये क्या आपकी पसंद है?
▶ लोग ऐसा सोचते हैं कि मैं कुछ तय करवाता हूं तो यह लोगों का प्रेम है। कोई भी प्रत्याशी हो, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है। मैं तो कांग्रेस पार्टी को चुनौती मानकर चुनाव लड़ता हूं। मुझे लगता है कि कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है। कांग्रेस में कोई लोकसभा का चुनाव लड़ना नहीं चाहता है। पार्टी छत्तीसगढ़ में अपनी डूबती नैया को बचाने के लिए सबको जबर्दस्ती चुनाव लड़वा रही है। मेरी जानकारी में न तो भूपेश बघेल, न ताम्रध्वज साहू और न ही विकास उपाध्याय चुनाव लड़ना चाहते थे। पार्टी ने इन पर चुनाव थोपा है।
▶ प्रत्याशी बनने से कितना नुकसान हुआ है, पहले आप सभी लोकसभाओं में प्रचार करने जाते थे?
▶ अभी भी वही स्थिति है, आने वाले समय में मुझे चुनाव प्रचार करने जाना है, पार्टी ने आग्रह किया है। जितने सक्रिय अपनी लोकसभा में रहेंगे, उतने ही दूसरी लोकसभा में भी रहेंगे
▶ आपको क्या लगता है कि दिल्ली जाएंगे तो सिर्फ सांसद ही रहेंगे?
▶ अब मैं कुछ नहीं सोचता, जो भी फैसला करेगी, पार्टी ही करेगी। मैंने कभी कुछ मांगा नहीं है।
▶ इस दौर की भाजपा में कितना मुश्किल होती है आप जैसे नेता को ?
▶ समय के साथ परिवर्तन हो रहा है। यह पीढ़ियों का परिवर्तन है। मैं जिनके पिताजी की शादी में गया हूं, उनके बच्चों की शादी में जा रहा हूं। समय के साथ-साथ आपको भी परिवर्तित होना पड़ेगा। अटल बिहारी वाजपेयी के बाद देश को नरेंद्र मोदी के रूप में एक ऐसा नेतृत्व मिला है, जो देश को उन्नति और शिखर पर ले जाने का काम कर रहे हैं। नरेंद्र मोदी और अमित शाह की टीम ने देश के इतिहास में कई ऐतिहासिक फैसले किए हैं।
▶ कितना हवा हवाई लगता है, अबकी बार 400 पार?
▶ राजनीति में हवा-हवाई कुछ नहीं होता है। राजनीति में लक्ष्य बड़ा रखना पड़ता है, जब बड़ा करते हैं। ऐसा करने से ही लक्ष्य तक पहुंच पाते हैं।
▶ कांग्रेस के बारे में क्या सोचते हैं?
▶ कांग्रेस छत्तीसगढ़ में समाप्ति की तरफ है, देश में भी डूबता जहाज है। जिस तरह से लाखों की संख्या में कांग्रेस के कार्यकर्ता, सैकड़ों की संख्या में कांग्रेस के विधायक और सांसद पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल हो रहे हैं, उससे लगता है कांग्रेस में अब नेतृत्व नहीं है।
▶ शिक्षा मंत्री के रूप में जो घोषणाएं की हैं, उनका क्या होगा?
▶ मैं चाहे केंद्र में सांसद रहूं या मंत्री रहूं। यहां पर मैंने जो भी घोषणाएं शिक्षा मंत्री के रूप में की हैं, उन सबको पूरा किया जाएगा।
▶ सांसद बन जाएंगे तो रायपुर के लिए क्या करेंगे?
▶15 सालों में भाजपा की सरकार में हमने रायपुर की पूरी तस्वीर बदलने का काम किया है। आने वाले समय में यहां पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शिक्षण संस्थान, अस्पताल लाने का काम होगा। एयरपोर्ट को अंतर्राष्ट्रीय सेवाओं से जोड़ेंगे। जो भी राष्ट्रीय संस्थान यहां पर नहीं हैं, उनको लाने का काम करेंगे।