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बाघों के बाद अब राज्य में तेंदुआ की संख्या भी तेजी से घट रही है। राज्य में चार वर्ष पूर्व 2018 में 852 तेंदुआ होने का अनुमान लगाया गया था, वहीं वर्ष 2022 की गणना रिपोर्ट में अनुमानित 722 तेंदुआ खास हैं।

रायपुर। वन्यजीवों के संरक्षण, संवर्धन के लिए वन विभाग कितना गंभीर है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि बाघों के बाद अब राज्य में तेंदुआ की संख्या भी तेजी से घट रही है। राज्य में चार वर्ष पूर्व 2018 में 852 तेंदुआ होने का अनुमान लगाया गया था, वहीं वर्ष 2022 की गणना रिपोर्ट में अनुमानित 722 तेंदुआ खास हैं। चार वर्षों में राज्य में औसतन 15 स्वार प्रतिशत तेंदुए की संख्या में गिरावट दर्ज की गई है। 

एनटीसीए ने बाघों के बाद तेंदुआ की गणना रिपोर्ट पिछले दिनों जारी की है। जारी रिपोर्ट में पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र में तेंदुआ की संख्या में 13 से 15 प्रतिशत वृद्धि होने ने का अनुमान लगाया गया है। एक अन्य पड़ोसी राज्य ओडिशा में तेंदुए की संख्या में 25 प्रतिशत गिरावट होने का अनुमान लगाया गया है। वन अफसर इस बात से संतुष्ट हो सकते हैं कि पड़ोसी राज्य ओडिशा की तुलना में छत्तीसगढ़ बेहतर स्थिति में है।

अनुमान के आधार पर औसतन एक का शिकार 

 तेंदुआ की संख्या को लेकर एनटीसीए ने जो अनुमानित आंकड़े प्रकाशित किए हैं, उस लिहाज से राज्य में जहां तेंदुआ की संख्या एक हजार के पार होनी चाहिए थी, संख्या घटकर महज 722 है। इस लिहाज से राज्य में शिकारी औसतन रोज एक तेंदुआ का शिकार कर रहे हैं।

बिग कैट की संख्या तेजी से बढ़ती है

तेंदुआ बिग कैट प्रजाति के वन्यजीव में शामिल है। मादा तेंदुआ का गर्भाधान 90 से 100 दिनों का होता है। एक बार में मादा से तीन शावक को जन्म देती है। मादा तेंदुआ अपने शावक को 18 से 20 महीने तक साथ रखती है. इसके बाद वह पुनः मेटिंग करने के लिए तैयार होती है। इस लिहाज से बिग कैट प्रजाति के बाघ सहित तेंदुआ की संख्या में तेजी से इजाफा हो सकता है।

चार साल में संख्या एक हजार के पार होनी थी

राज्य में वर्ष 2018 में तेंदुआ की संख्या 852 के होने का अनुमान था, इनमें से दस प्रतिशत की प्राकृतिक मौत होने की स्थिति में संख्या 85 घटती पांच प्रतिशत के शिकार होने पर संख्या 44 और कम हो जाती। इस स्थिति में तेंदुआ की संख्या 129 कम हो गई। शेष बचे सवा सात सौ तेंदुआ में से ढाई सौ को सब एडल्ट या शावक मान लेते हैं। शेष 470 में से दो सौ मादा तेंदुआ की संख्या मान लेते हैं, इनमें से मेटिंग की स्थिति में सौ मादा तेंदुआ को भी मान लेते हैं, तब भी शिकार, प्राकृतिक मौत होने के बाद राज्य के वनों में तेंदुए की संख्या तीन सौ बढ़ती। इस लिहाज से राज्य में तेंदुआ की संख्या एक हजार से ज्यादा होनी चाहिए थी। 

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