धमतरी इलाके के आधा दर्जन गांवों में सोखन की समस्या
धमतरी। खपरी, भानपुरी, सारंगपुरी, खरेंगा सहित आसपास के गांवों में सिंचाई पंप तो लगातार चल रहे हैं लेकिन खेतों में पानी नहीं ठहर रहा है। पानी खेतों में ही सूख जा रहा है कृषि वैज्ञानिक भी इस समस्या को लेकर कई प्रकार के जतन कर रहे हैं। इसके बाद भी सोखन की समस्या कम नहीं हो रही है। गर्मी स्थिति और विकराल होगी। इससे फसल के चौपट होने का खतरा है। लंबे समय से जिन क्षेत्रों में धान की फसल ली जा रही है, वहां पर नई समस्या पैदा गई है। खेतों में पानी ठहर नहीं रहा है। किसान खेतों को लबालब भरते हैं। घंटे भर में ही पानी जमीन के अंदर सूख जाता है।
इस समस्या ने किसानों की कमर तोड़ दी है। नहर से सिंचाई की सुविधा नहीं मिल रही है। सिर्फ मोटरपंपों के भरोसे खेतों की सिंचाई चल रही है। स्थिति यह है कि दिन-रात मोटरपंप चलने के बाद भी खेत सूखे हैं। हर दूसरा किसान इस समस्या से परेशान है। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए अब तक कोई कारगर उपाय सामने नहीं आया है। फसल को बचाने के लिए किसान तरह-तरह के इंतजाम कर रहे हैं। कोई चूना का छिड़काव कर रहा है तो कई जैविक खाद डाल रहा है फिर भी संतोषप्रद रिजल्ट नहीं मिल रहा है।
केस -1
ग्राम खपरी के किसान रामकृष्ण साहू ने दूसरे से रेगहा लेकर 2 एकड़ में धान की फसल लगाई है। खेतों में सोखन की समस्या से उनके खेतों में पानी नहीं पल रहा है। लगे हुए 1 एकड़ खेत को उसने छोड़ दिया है। इसके बाद भी बचे हुए 1 एकड़ में पानी ठहर नहीं रहा है ।
केस -2
खपरी के किसान गिरधर साहू 18 एकड़ में धान लगाते हैं। इस साल भी खेतों में फसल लगी हुई है। उनके पास दो मोटरपंप हैं। कई खेतों में सोखन की समस्या शुरू हो गई है, जिसमें पानी ठहर ही नहीं रहा है। पानी डालने के घंटे भर बाद ही खेत जैसे का तैसा सूखा हो जाता है।
यह एरिया है प्रभावित
सोखन की समस्या से हटकेशर, खपरी, भानपुरी, मुजगहन में करीब 100 एकड़ से ज्यादा खेत प्रभावित है। हटकेशर में किसानों ने सोखन से परेशान होकर रबी में चने की फसल लगाई है। इसी प्रकार आमदी, पोटियाडीह, सारंगपुरी, खरेंगा सहित जिले के कई गांवों में इस तरह की समस्या है।
कइयों ने छोड़ दी रबी में धान की खेती
दशरथ, बंशी साहू, युवराज शर्मा, पुनीत साहू सहित कई किसानों ने सोखन की समस्या से परेशान होकर रबी सीजन में धान की खेती छोड़ दी है। इसके बाद भी समस्या का हल नहीं हुआ है। खरीफ में जहां अन्य लोगों के खेतों में बरसाती पानी भरता था, वहीं इनके खेत खाली थे। महेश मेश्राम, संतोष साहू, अशोक कुमार सहित कई किसान अब रबी सीजन में धान की फसल से तौबा करने की तैयारी में हैं।
सोखन की समस्या के कई कारण
कृषि वैज्ञानिक डॉ शक्ति वर्मा ने बताया कि, सोखन की समस्या कई कारणों से सामने आ रही है। जमीन के अंदर चूना पत्थर के घुल जाने से उस जमीन पर पानी सीधे नीचे चला जाता है। इसी प्रकार जहां पर ज्यादा बोरवेल्स हैं, वहां बोरवेल्स के जरिए भी पानी नीचे चल जाता है। खेतों में पैरा जलाने की आदत से मिट्टी में जीवांश पदार्थ समाप्त होते जा रहे हैं। यह भी सोखन की समस्या का एक बड़ा कारण है।