रायपुर। रायपुर जिले के गोठानों में गोबर से वर्मी खाद बनाने का काम करने वाली महिला समूहों की महिलाओं को पिछले करीब 7 महीने से मेहननाता नहीं मिला है, जिससे महिला समूहों को आर्थिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्वसहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को सशक्त और आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए महिलाओं को गोठानों से जोड़ा गया था। इन गोठानों में महिलाएं गोबर से वर्मी खाद बनाने का काम करती हैं, जिसके एवज में महिलाओं को मेहनताना का भुगतान खाद बिक्री की कमाई से किया जाता है, लेकिन पिछले कई महीनों से गोठानों में गोबर खरीदी, खाद उत्पादन के साथ खाद की बिक्री बंद है, जिसके कारण महिला समूहों को उनका मेहनताना भी नहीं मिल पा रहा है।
जुलाई के बाद से भुगतान नहीं
जिले के निलजा स्थित गोठान में जागृति स्वसहायता समूह की करीब आधा दर्जन से अधिक महिलाएं गोबर से खाद बनाने का काम करती हैं। यह समूह पिछले कुछ साल से इस गोठान में काम कर रही हैं। समूह की अध्यक्ष शगुन वर्मा ने बताया कि जुलाई तक उन्हें खाद बिक्री के रूप में मेहनताना मिलता रहा, लेकिन अगस्त से लेकर अब तक उन्हें भुगतान नहीं किया गया है। इससे उनके परिवार को आर्थिक रूप से परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। समूह की सदस्य गोंदा विश्वकर्मा, राधा वर्मा, अन्नपूर्णा वर्मा, रोहिणी यादव, यशोदा वर्मा ने भी बताया कि उन्हें भुगतान नहीं होने के बाद भी सभी गोठान में अभी भी काम कर रही हैं।
2 लाख से ज्यादा का भुगतान अटका
गोठान समिति के प्रभारी घनश्याम वर्मा ने बताया कि उनके गोठान में 21 जुलाई 2020 से 15 दिसंबर 2023 तक कुल 8 लाख 74 हजार किलोग्राम गोबर खरीदा गया, जिसमें से 288316 किलो वर्मी खाद बनाया गया। इसमें से 2273.50 किलो खाद बेचा गया तथा शेष 60966 किलो खाद स्टॉक में है। उन्होंने बताया कि महिला समूहों को 3.92 रुपए की दर से भुगतान होना है। इस तरह महिला समूहों का 609 क्विंटल खाद बिक्री से 2 लाख 38 हजार 728 रुपए का भुगतान दिया जाना है। यह राशि तभी महिलाओं को मिल पाएगी, जब खाद की बिक्री होगी।
45646 क्विंटल खाद गोठानों में डंप
रायपुर जिले में कुल 325 गोठान है। इन गोठानों में वर्मी कम्पोस्ट एवं सुपर कम्पोस्ट मिलाकर कुल 271828 क्विंटल खाद बेची जा चुकी है, जिसका भुगतान भी कर दिया है, लेकिन 45646 क्विंटल खाद गोठान समितियों में डप पड़ा हुआ है। गोठानों में कामकाज नहीं होने से तैयार खाद की बिक्री भी नहीं हो पा रही है। इसकी वजह से अन्य गोठानों की महिला समूहों से जुड़ी महिलाओं का भी मेहनताना रुका हुआ है।
खाद बिकेगी तभी मिलेगा मेहनताना
कृषि उप संचालक आर. कश्यप ने कहा कि, गोठानों में बचा खाद का स्टॉक बिकेगी, तभी महिला समूह को मेहनताना मिल पाएगा। गोठानों में फिलहाल गोबर की खरीदी के साथ खाद उत्पादन एवं बिक्री का काम बंद है।