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नई शिक्षा नीति के अंतर्गत प्राथमिक शिक्षकों ने FLN की ट्रेनिंग ली। 16 स्कूलों के प्राथमिक विभाग के शिक्षकों ने भाग लिया।

बेमेतरा। नई शिक्षा नीति 2020 के तहत FLN पर आधारित प्रशिक्षण का समापन सेजेस कन्या बेमेतरा ज़ोन क्रमांक एक में हुआ। जिसमें 16 स्कूलों के प्राथमिक विभाग के शिक्षकों ने भाग लिया। प्रशिक्षण की शुरुआत DRG धनीराम बंजारे के द्वारा नई शिक्षा नीति में ई जादुई पिटारा पर विशेष रूप से चर्चा किया गया है। FLN बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मक ज्ञान को सभी प्रशिक्षणार्थियों को जानकारी दी है। नई शिक्षा नीति के तहत बुनियादी ज्ञान कक्षा पहली से तीसरी के बच्चों में खेल-खेल और गतिविधियों के माध्यम से कैसे लाया जाए। 

सरल शब्दों में बच्चों को सिखाएं

DRG प्रीतम चंद्राकर ने बताया कि, भाषा शिक्षण के चारों मॉडल मौखिक गणित वर्णों का पहचान पठन कौशल, लिखित कौशल और नवा जतन के सात बिंदु स्वयं से सीखना, गली मित्र, विषय मित्र, पियार लर्निंग पर विशेष चर्चा किया गया। उन्होंने कहा कि, कैसे बच्चों में बुनियादी  कौशल लाने के लिए एक शिक्षक को सजग होकर बच्चों में 4 प्लस 1 प्लस 1 से बुनियादी साक्षरता प्राप्त कर सकते हैं। 

BEMETRA

FLN के बारे में दी जानकारी 

डीआरजी अब्दुल इमरान खान ने बताया कि, पुस्तकालय और बहुभाषी शिक्षण पर चर्चा कर बहुभाषी शिक्षा पद्धति के आधारभूत आयामों को स्पष्ट तौर पर समझाया गया हैं।  सभी प्रशिक्षणार्थियों में अपने कार्यों के प्रति हौंसला और निष्ठा से कार्य करने का निर्देश दिया गया। FLN प्रशिक्षण के द्वितीय चरण के समापन पर डाइट बेमेतरा से वरिष्ठ व्याख्याता थलज कुमार साहू और राजकुमार वर्मा के मार्गदर्शन के रूप में सभी प्रशिक्षनार्थियों को गति वीडियो के माध्यम से उमंग और ऊर्जा का संचार करते हुए NEP 2020 का मुख्य लक्ष्य FLN को 2027 से पूर्व ही प्राप्त करने की रणनीतियों के बारे में बताया गया है। 

शत-प्रतिशत लागू करने का दिया निर्देश 

डाइट व्याख्याता थलज कुमार साहू ने बताया कि, इस प्रशिक्षण की आवश्यकता क्यों हैं। FLN क्या है। इस पर विस्तृत से चर्चा की गई है। इसके साथ ही प्रशिक्षण में सीखें सभी नवाचार को बच्चों तक शत प्रतिशत लागू करने के लिए निर्देश किया है। उन्होंने कहा कि, सबसे पहले हमें बच्चों को पढ़ना है, उन्हें समझना है कि, वह किस वातावरण से आ रहा है। बच्चों में जन्मजात क्षमताएं होती है। जन्मजात क्षमता होने के साथ-साथ एक उत्साह जनक परिवेश का होना अत्यंत आवश्यक है। बच्चे अपनी समझ और अनुभव को स्वाभाविक रूप से अपने हाव-भाव के साथ घर की भाषा में सहजता से सीखते हैं। उन्होंने ने कहा कि, बच्चे जब पहली बार विद्यालय आते हैं तो अपने साथ वह एक समृद्ध अनुभव लेकर आते हैं। इस तरह नए अनुभव, पुराने अनुभव को और अधिक समृद्ध करते हैं, उनकी समझ को बढ़ाते हैं जिस भाषा में बच्चे सबसे अच्छी तरह समझते हैं अर्थात बच्चों की मातृभाषा का अधिक से अधिक हमें उपयोग करना चाहिए।

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