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छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश में केवल राजस्व वसूली का ही विकल्प है। किसी भी राशन दुकानदार से आज तक कोई वसूली नहीं हो पाई है। 

रायपुर। खाद्य घोटाले को लेकर विधानसभा की जांच समिति की घोषणा के बाद खाद्य संचालनालय के अफसर सक्रिय हो गए हैं। समिति की पहली बैठक अगले माह के पहले सप्ताह में हो सकती है। उसके पहले प्रदेश की राशन दुकानों में पाई गई कमी और अन्य रिपोर्ट भेजने जिला प्रशासन को लिखा गया है। पूरे मामले में जिस प्रकार से गलत तरीके से कोटा जारी करवाया गया, इसमें संलिप्त अधिकारियों पर जांच शुरू होने के पहले गाज गिर सकती है। 

उनका कहना है कि,  विधानसभा समिति को जांच से भटकाने और खाद्य निरीक्षकों द्वारा हर महीने घोषणापत्र में बचत स्टॉक होने की जानकारी देने के बावजूद संचालनालय के अपर संचालक, संचालक खाद्य को भ्रमित कर कोटा जारी करवाते रहे। 600 करोड़ रुपये का चावल आज भी राशन दुकानों में है, लेकिन निरीक्षकों पर दबाव डाल कर बाजार से बोगस चावल खरीदी करवाया जा रहा है। इसे प्रतिपूर्ति का नाम दिया गया है। छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश में केवल राजस्व वसूली का ही विकल्प है। किसी भी राशन दुकानदार से आज तक कोई वसूली नहीं हो पाई है, उल्टा नियम विपरीत राजस्व वसूली के खिलाफ कवर्धा, कांकेर, बस्तर, जशपुर जिले का मामला कोर्ट तक पहुंचा है।

निरीक्षकों पर डाला जा रहा दबाव

छत्तीसगढ़ सार्वजनिक वितरण प्रणाली नियंत्रण आदेश में साल में एक बार भौतिक सत्यापन का कोई नियम नहीं है, बल्कि हर महीने घोषणापत्र में राशन दुकान में बचे खाद्यान्न की जानकारी मिल जाती थी। फरवरी 2022 में तेरह हजार राशन दुकानों का घोषणापत्र गायब कर दिया गया है। खाद्य निरीक्षकों से पिछले तीन महीने का घोषणापत्र सही है, का माड्यूल में जबरन एंट्री कराई जा रही है। जब घोषणापत्र ही नहीं है, तो खाद्य निरीक्षक किस घोषणापत्र के सही होने की एंट्री करेगा?

यह बताया जा रहा कारण

खाद्य संचालनालय के अपर संचालक विभागीय और भौतिक सत्यापन में अंतर की चिट्ठी संचालक से जारी करवा रहे हैं, जिसमें 14.03 लाख मीट्रिक टन चावल, 33 हजार क्विंटल शक्कर का अंतर है। अंतर के लिए तकनीकी कारण, डेटा अपलोड और राशन दुकानों के केस बनने का हवाला दिया गया है।

संलिप्त अधिकारी को हटाने की मांग

सेवानिवृत्त खाद्य अधिकारी रमेश चंद्र गुलाटी ने बताया कि, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, विधानसभा समिति के सभापति पुन्नू लाल मोहिले, सदस्य राजेश मूणत और विक्रम उसेंडी से मिलकर अपर संचालक को जांच के पहले हटाने की मांग की है। उनके रहते निष्पक्ष जांच नहीं हो सकती। खाद्य विभाग के सचिव वी राजू और संचालक जितेंद्र शुक्ला को भी ज्ञापन देकर घोटाले के लिए जिम्मेदार अधिकारी को हटाने की मांग की है।
 

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