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वर्तमान में बाघ का विचरण क्षेत्र बार नवापारा अभयारण्य के आसपास ही है। बाघ की सुरक्षा के लिए कई तरह की कवायद की जा रही है।

रायपुर। बलौदाबाजार वनमंडल के बार नवापारा में महासमुंद के रास्ते आए प्रवासी बाघ को चार महीने हो गए हैं। वर्तमान में बाघ का विचरण क्षेत्र बार नवापारा अभयारण्य के आसपास ही है। बाघ की सुरक्षा के लिए कई तरह की कवायद की जा रही है। बाघ के चार महीने से ज्यादा समय तक बार नवापारा में रहने के बाद वन अफसरों को बाघ के यहां स्थायी रूप से रहने की उम्मीद जागी है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ सुधीर अग्रवाल बाघ की साथी तलाश करने महाराष्ट्र स्थित ताडोबा-अंधारी नेशनल पार्क पहुंचे हैं।

सूत्रों के मुताबिक तीन दिन पूर्व पीसीसीएफ बाघ के लिए साथी तलाश करने ताड़ोबा गए हैं। वहां के वन अफसरों से संपर्क कर बाघिन देने सहमति बनाने का प्रयास कर रहे हैं। इस संबंध में वन अफसरों से संपर्क करने पर वे किसी भी तरह से पुष्टि करने से बच रहे हैं। गौरतलब है कि बाघ की बार नवापारा में मौजूदगी को देखते हुए पन्ना टाइगर रिजर्व के सेवानिवृत्त फील्ड डायरेक्टर वी. श्रीनिवास मूर्ति की मदद ली जा रही है। इसके लिए पिछले दिनों श्री मूर्ति बार नवापारा के जंगल देखने के लिए भी गए थे।

बाघिन लाने प्रक्रिया से गुजरना होगा

बाघिन लाने वन अफसरों को कई प्रक्रियाएं पूरी करनी होंगी। ताडोबा के अफसरों द्वारा बाघिन देने राजी होने के बाद पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ एनटीसीए को पत्र लिखेंगे। इसके बाद एनटीसीए उस पत्र को अपने उच्चस्तरीय समिति को भेजेगा। समिति बार नवापारा में बाघ के अनुकूल प्री-बेस का अध्ययन करने आएगी। इसके बाद एनटीसीए को इस संबंध में जानकारी देगी। बाघिन लाने वन विभाग को स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड से भी अनुमति लेनी होगी।

अनुमति मिलने के बाद करेंगे चयन

एनटीसीए, स्टेट वाइल्ड लाइफ बोर्ड से अनुमति मिलने के बाद बाघिन का चयन किया जाएगा। बाघिन के चयन होने के बाद उसकी दो से तीन महीने मॉनिटरिंग की जाएगी। ये प्रक्रिया पूरी होने के बाद मामला एक बार फिर एनटीसीए के पास जाएगा। इसके बाद एनटीसीए पुनः बाघिन लाने की प्रक्रिया पूरी करने उच्चस्तरीय समिति के पास भेजेगा। तब कहीं जाकर बाघिन लाने की प्रक्रिया पूरी होगी।

सबकुछ एनटीसीए पर निर्भर

बाघ के लिए साथी की तलाश करने वन अफसर ताडोबा गए हुए हैं, वहां सबकुछ ठीकठाक रहा तो भी एनटीसीए चाहे तो ताडोबा से बाघिन लाने अनुमति देने से इनकार कर सकता है। साथ ही किसी दूसरे टाइगर रिजर्व से बाघिन लाने के लिए कह सकता है। वन अफसरों द्वारा उच्चस्तरीय प्रयास करने पर ही बाघिन लाने का रास्ता साफ हो सकता है।
 

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