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बलौदाबाजार महात्मा गांधी सन 1933 में जब बलौदाबाजार आए थे, उनके आगमन की स्मृति आज भी है। गांधी जयंती के अवसर पर जानिए शहर में गांधी जी से जुड़ी कुछ खास बातें।  

कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले का स्वतंत्रता की लड़ाई के इतिहास में बलौदाबाजार का नाम भी स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है। आजादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाले कई दिग्गजों में से एकमात्र गांधी जी ही थे, जो 90 साल पहले बलौदाबाजार आए थे। उनके आगमन की स्मृतियां अब भी यहां मौजूद हैं। आज पूरा देश महत्मा गांधी की जयंती मना रहा है। इसी बीच शहर में महात्मा गांधी से जुड़ी कुछ ख़ास बातें हम आपको बातएंगे। 

1933 में बलौदाबाजार आए थे गांधी जी 

आज़ादी की लड़ाई के दौरान दो बार गांधी जी छत्तीसगढ़ आए थे। पहली बार आज से 102 साल पहले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का धमतरी में आगमन हुआ था। वहीं दूसरी बार 1933 में यानी की आज से लगभग 90 साल पहले गांधी जी बलौदाबाजार आए थे। गांधी जी के यहां आने का उद्द्देश्य आजादी की लड़ाई में अधिक से अधिक लोगों को शामिल करने और छोटी-बड़ी जातियों के बीच के छुआछूत भेदभाव की दीवार गिराने के लिए वे पूरे का देश भ्रमण कर रहे थे। इस दौरान वे रायपुर से सारागांव, खरोरा, पलारी होते हुए 26 नवंबर 1933 को बलौदाबाजार पहुंचे थे। 

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गांधी जी ने दलितों को पिलाया था कुएं का पानी 

सन 1933 में जब महत्मा गांधी बलौदाबाजार आए थे। उनके आगमन की स्मृति आज भी है। कुछ पुराने बुजुर्ग  बताते है कि, जिले के पुराने कृषि मंडी प्रांगण में उन्होंने सभा को संबोधित किया था और वहां मौजूद कुंआ से उन्होंने एक दलित से पानी निकलवाकर उसके ही हाथों से पानी पिया था। सभी दलितों को भी उसी कुंआ का पानी पिलाया था। उन्होंने दलितों के साथ स्थानीय मंदिरों में प्रवेश भी किया था, जिसकी पूरे प्रदेश में जमकर चर्चा हुई थी।

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गांधी जी ने जिस कुएं से पानी पिया था वह अब जर्जर स्थिति में है

कुएं के अंदर लगा है गंदगी का अंबार 

कुआं आज भी पुराने कृषि उपज मंडी में स्थित है। इतिहास की इस अमूल्य धरोहर को सहेजने के लिए जिला प्रशासन आंख मूंदे हुए है। आज भी इस कुआं और इसके आसपास का क्षेत्र गंदगी से भरा हुआ है। कुएं के अंदर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। 

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ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने की कगार पर 

पूरे देश में गांधी जयंती के दिन विशेष स्वच्छता अभियान चलाया जा रहा है, पर जहां पर महात्मा गांधी की स्मृति है इस स्थान को जिले के अधिकारी नजर अंदाज कर के बैठे है। साफ- सफाई तो दूर की बात है, वे यहां झांकने तक नहीं आते है। इस तरह ऐतिहासिक धरोहर की दुर्दशा देखकर नगरवासी भी आक्रोशित है उनका कहना है कि, हर बार अधिकारी आकर पुराने कृषि उपज मंडी को लेकर योजनाएं बनाते है। योजनाएं फाइल में ही बंद रहकर ठंडे बस्ते में चली जाती है।

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