Logo
गांव में जब बोर का खनन किया गया तो उसमें पानी का फव्वारा फूट पड़ा। इसके बाद से वहां पर सालों से चौबीस घंटे जमीन के नीचे से बिना मोटर पंप के जलधारा निकल रही है। 

प्रवीन्द सिंह-कोरिया। प्रकृति अजूबों से भरा है इनमें से कई अजूबों को देख कर हमें दांतों तले उंगली भी दबानी पड़ती है। प्रकृति में ऐेसे कई अजूबे हैं  जो आज तक पहेली बनी हुई है। वहीं कई पहेलियों को विज्ञान ने सुलझा लिया है। हमें पता है कि जमीन की गहराई से पानी निकालने के लिए मोटर पंप की आवश्यकता पड़ती है, लेकिन कोरिया जिले के एक गांव में जब बोर का खनन किया गया तो उसमें पानी का फव्वारा फूट पड़ा। इसके बाद से वहां पर सालों से चौबीस घंटे जमीन के नीचे से बिना मोटर पंप के जलधारा निकल रही है, जिसके कारण गांव में पानी की कोई कमी नहीं है। 

कोरिया जिले में ही कई जगह ऐसे हैं, जहां पेयजल की बड़ी परेशानी होती है। गर्मियों के दिनों में तो कई गांवों में पेयजल की गंभीर समस्या का सामना करना पड़ता है। दिनों-दिन भूमिगत जल के अत्यधिक दोहन के कारण जल संकट की स्थित बनी हुई है। लेकिन कोरिया जिले के रामगढ़ क्षेत्र के ग्राम गरनई में बिना मोटर के 24 घंटे एक बोर से पानी निकल रहा है। 

हैंडपंप के लिए किया गया था खनन 

बताया जा रहा है कि, कुछ साल पहले हैंडपंप के लिए इस जगह पर खनन किया गया था जिसके बाद से वहां से जल धारा बहने लगी। पानी के प्रेशर के कारण वहां पर हैंडपंप नहीं बनाया जा सका, बल्कि खनन बोर के ऊपर एक पाइप लगा दी गई है। इसमें बिना बिजली मोटर के ही पेयजल निकल रही है। इसके कारण गांव के लोगों को साल भर, चौबीसों घंटे बिना बिजली-मोटर के ही खनन किए गए बोर से पेयजल मिल रहा है। बताया जा रहा है कि, जमीन के भीतर भारी प्रेशर के कारण ही जलधारा निकल रही है। इस तरह के नजारे बहुत ही कम जगहों पर देखने को मिलता है। 

व्यर्थ बहते जल के संरक्षण की जरूरत

इस बोर से निकल रहे पानी का उपयोग करने के बाद पानी व्यर्थ बह रहा है। व्यर्थ बह रहे जल के संरक्षण की जरूरत है। ग्रामीणों को बूंद-बूंद की कीमत समझनी चाहिए और जल संरक्षण करना चाहिए।

5379487