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भीषण गर्मी के कारण धमतरी स्थित गंगरेल बांध में दो टीएमसी उपयोगी पानी शेष रह गया है। गंगरेल बांध सूखने की कगार पर है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में इस साल की भीषण गर्मी के कारण धमतरी स्थित गंगरेल बांध में दो टीएमसी उपयोगी पानी शेष रह गया है, जो कुल क्षमता से मात्र 8 प्रतिशत ही है। 32.5 टीएमसी क्षमता वाला गंगरेल बांध सूखने की कगार पर है। गंगरेल बांध करीब 12 से 13 साल बाद सूखे की मार झेल रहा है। मानसून समय पर दस्तक नहीं देता है और अच्छी वर्षा नहीं होती है, तो इसका सीधा असर लोगों के जीवन पर पड़ेगा। साथ ही पेयजल आपूर्ति में कटौती की जाएगी। गंगरैल से ही रायपुर के लिए पानी सप्लाई किया जाता है।

गंगरेल बांध से राजधानी समेत आसपास के कई जिलों को पानी दिया जाता है। भविष्य में यदि अच्छी वर्षा नहीं होती है, तो इन जिलों की भी परेशानी बढ़ेगी। भीषण गर्मी में प्यास बुझाने गंगरेल बांध में करीब 28.31 अरब लीटर पानी है, जो महज ढाई महीने का पानी है। यही वजह है कि, अब गंगरेल बांध प्रबंधन ने भिलाई स्टील प्लांट को पानी देना बंद कर दिया है। भीषण गर्मी के कारण बांधों में इस बार पानी तेजी से घटा, जिसे लेकर विभाग के अफसरों का मानना है कि सिंचाई, पेयजल और निस्तारी के लिए पानी छोड़े जाने की वजह से यह स्थिति आई है।

900 तालाबों को पहले ही भरा जा चुका

गंगरेल बांध से करीब 900 तालाबों को पहले ही भरा जा चुका है। तालाबों को भरने मई माह के पहले सप्ताह तक पानी छोड़ा गया था। शहर और गांवों के सूखते तालाबों को भरने और गिरते भूजल स्तर में सुधार लाने के लिए धमतरी समेत प्रदेश के चार जिलों के लिए गंगरेल बांध से निस्तारी पानी छोड़ा गया था। तीन चरण में 1 अप्रैल को 700 क्यूसेक, 2 अप्रैल को 1400 क्यूसेक और 3 अप्रैल को 3000 क्यूसेक पानी रूद्री बैराज में छोड़ा गया था।

जल जगार उत्सव मनाया जा रहा

गंगरेल को खाली देखकर जिला प्रशासन पहली बार जल जगार उत्सव मना रहा है। जल जगार कार्यक्रम में पहुंची केंद्रीय भूमि जल आयोग की टीम ने भी गंगरेल बांध की स्थिति को लेकर चिंता जाहिर की है और जल संरक्षण की ओर धमतरी सहित प्रदेशवासियों को जागरूक होने की अपील की है।

20 प्रतिशत आई कमी

इस साल पड़ी भीषण गर्मी के कारण प्रदेश के कई जिलों के मध्यम और छोटे बांधों में की स्थिति चिंतनीय है। गत दो वर्षों में मई में जलस्तर के भंडारण का यह निम्न स्तर है। भीषण गर्मी के कारण मई में राज्य के 12 बड़े बांधों में जल भंडारण स्तर में तेजी से गिरावट आई है। प्रदेश के बड़े बांधों में पिछले साल के मुकाबले 22 प्रतिशत की कमी आई है। वर्ष 2023 में जहां 58.22 प्रतिशत पानी था, वहीं वर्तमान में 36.51 जल भराव की क्षमता है। वहीं मध्यम बांधों में वर्ष 2023 में 49.30 प्रतिशत पानी था, वह अब मात्र 33.41 प्रतिशत पानी शेष है।

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