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कोपरा गांव की सरपंच कलेक्टोरेट के सामने ट्रेक्टर में सवार होकर अनिश्चित कालीन धरने पर बैठ गई हैं। उनका कहना है कि, विकास काम में खर्च हुए 15 लाख का भुगतान भी नही किया गया है। 

गोरेलाल सिन्हा- गरियाबंद। छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के कोपरा गांव की सरपंच कलेक्टोरेट के सामने ट्रेक्टर में सवार होकर अनिश्चित कालीन धरने पर बैठ गई हैं। सरपंच का कहना है कि, हमें कैंपस में बैठने की अनुमति नही मिली है। बाहर सड़क किनारे गढ्ढे और पानी का जमाव था। इसलिए कैंपस के बाहर ट्रेक्टर ट्राली को धरना स्थल का मंच बना कर धरने पर बैठ गए हैं। उनके साथ मौजूद ग्रामीणों का कहना है कि, कोपरा के राजनीति करण से विकास कार्य ठप्प पड़ा।

सरपंच ने बताया कि, 6 अक्तूबर 2023 को पंचायत को नगर पंचायत बनाया गया था। जिसके बाद दो माह तक पंचायत मद से ग्राम विकास का काम कराते रहे। विधिवत नगर पंचायत सीएमओ को चार्ज दिया गया था। सरपंच, पंच को नगर पंचायत के बॉडी बनाने के बजाए संचालन समिति बनाया गया. जिसमें भाजपा के नेताओं को पदाधिकारी बना दिया गया था। विकास काम में खर्च हुए 15 लाख का भुगतान भी नही किया गया है। लेबर मिस्त्री या मटेरियल भुगतान के लिए नगर पंचायत जाते हैं तो सरपंच के घर भेज दिया जाता है। यह भी कहा जाता है कि, सरपंच अपना घर बड़ी बेच कर भुगतान करेंगे। इसी बात से आहत होकर महिला सरपंच आज मैं अनिश्चित कालीन धरने पर बैठी हूं।

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हाईकोर्ट ने जारी किया आदेश, लेकिन नहीं किया गया पालन

अपने अधिकारों के खातिर सरपंच योगेश्वरी साहू अन्य 11 पंचों के साथ मिल नियम विरुद्ध बनाई गई। समिति ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई गई थी। उनके तरफ से हाईकोर्ट अधिवक्ता रजनीश सिंह बघेल ने हाईकोर्ट में मामले की पैरवी की थी। अधिवक्ता बघेल ने बताया कि, नियमानुसार सरपंच और उसके साथ बॉडी को नगर पंचायत का अध्यक्ष व अन्य बॉडी में लिया जाना था। दलील के बाद माननीय कोर्ट ने भी माना कि, कोपरा नगर पंचायत में नियम विरुद्ध समिति बनाया गया है। 28 अगस्त को फैसला तत्कालीन सरपंच के पक्ष में आया। सरपंच ने कहा कि, कोर्ट के इस आदेश का अब तक नगर पंचायत प्रशासन ने पालन नही किया है।

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