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हाईकोर्ट ने प्रदेश की खराब सड़कों के बारे में संज्ञान लेते हुए राज्य शासन से जवाब मांगा था। रोड इन रेफरेंस के मामले में मंगलवार को मुख्य सचिव अमिताभ जैन और एसडीओ बिलासपुर की ओर से अपनी कंप्लाएन्स रिपोर्ट प्रस्तुत की गई।

बिलासपुर। हाईकोर्ट ने प्रदेश की खराब सड़कों के बारे में संज्ञान लेते हुए राज्य शासन से जवाब मांगा था। रोड इन रेफरेंस के मामले में मंगलवार को मुख्य सचिव अमिताभ जैन और एसडीओ बिलासपुर की ओर से अपनी कंप्लाएन्स रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इसमें बताया कि रायपुर स्थित धनेली रोड के लिए टेंडर प्रोसेस पूरा हो चुका है। लोएस्ट प्राइज के आधार पर जिस कंपनी को ठेका दिया गया है उसके द्वारा सुरक्षा निधि जमा करते ही काम शुरू किया जाएगा। इस रोड पर पुलिया बिजली खंभे आदि कार्य भी पूरा कराया जाएगा। बिलासपुर एसडीओ ने सेंदरी रोड निर्माण के लिए जमीन अधिग्रहण पूरा होने की जानकारी दी। एसडीओ ने बताया कि कुछ जमीन ग्राम निरतू की भी ली है।

एसडीओ ने जमीन अधिग्रहण सही होने की जानकारी देते हुए कहा कि वहां पर काम शुरू कराया जा सकता है। नेशनल हाइवे के अधिकारियों की ओर से कहा गया कि जमीन अधिग्रहण के सत्यापन के बाद काम शुरू कराया जाएगा। इस पर हाईकोर्ट ने कहा कि हम उम्मीद और भरोसा करते हैं कि शपथपत्र में दी गई जानकारी और कोर्ट के निर्देशों के अनुसार कार्य होगा। प्रकरण की अगली सुनवाई 29 जुलाई को रखी गई है। मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल के कोर्ट में हुई। मामले में न्यायमित्र राजीव श्रीवास्तव और प्रतीक शर्मा पेश हुए। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में रोड इन रेफरेंस के मामले में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट के समक्ष रायपुर एयरपोर्ट जाने नेशनल हाइवे में धनेली के पास से विधानसभा मार्ग के खराब होने की रिपोर्ट प्रस्तुत की गई। इस पर हाईकोर्ट ने तत्काल स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करने का आदेश दिया। राज्य सरकार की ओर से कहा गया कि सड़क निर्माण के लिए साढ़े 22 करोड़ रुपए की स्वीकृत दी गई है, लेकिन चुनाव आचार संहिता लागू हो जाने के कारण टेंडर की प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकी थी। अब लेकिन सड़क बनाने के लिए प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है।

प्रदेश की खराब सड़कों को लिया है संज्ञान में

हाईकोर्ट ने प्रदेश की सड़कों पर संज्ञान लेते हुए कहा है कि ये दुख की बात है कि खराब सड़कों से होने वाली दुर्घटनाओं को हम रोक नहीं पा रहे हैं। राज्य शासन को तुरंत सभी गढे भरने चाहिए ताकि भविष्य में दुर्घटनाओं को रोका जा सके। हाईकोर्ट ने शासन और एजेंसी को यह भी आदेश दिया है कि जिस सड़क में कार्य चल रहा हो, उस सड़क में कार्य प्रारंभ होने की तारीख व कार्य पूर्ण होने की तारीख और जिस सड़क का टेंडर ही जारी न हुआ हो, उसकी स्टेटस रिपोर्ट प्रस्तुत करें। हाईकोर्ट ने जनहित याचिकाओं पर यह संज्ञान लिया है।

बिना किसी प्लानिंग के किया जा रहा काम

हाईकोर्ट में यह बात भी सामने आई कि शहरी क्षेत्र में निगम, पीडब्ल्यूडी और ठेका एजेंसी मिलकर काम नहीं कर रहे हैं। बिना किसी प्लान के कई मार्गों का डामरीकरण प्रारंभ कर दिया जाता है। नई बनी सड़क को कभी सीवरेज पाइप लाइन तो कभी जल अमृत मिशन के नाम से खोद दिया जाता है। इसी तरह टेलीफोन केबल, नाला निर्माण के लिए फिर सड़कों को खोद दिया जाता है। इस तरह से अव्यवस्थित कार्य को लेकर रुपयों की बर्बादी होती है और सड़कों की दुर्दशा होती है। बताया गया कि जिस कार्य के लिए सड़कों की खोदाई की जाती है उसकी ठेका कंपनी को सड़क को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी दी जाती है लेकिन ऐसा नहीं होता। इसलिए नई सड़कों की हालत बदहाल हो गई है। वहीं ठेका कंपनी सड़कों की मरम्मत करने के लिए कोई ध्यान नहीं दे रही है। 


 

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