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सरकारी अस्पतालों में दवा की सप्लाई करने की जिम्मेदारी उठाने वाले सीजीएमएससी के स्टॉक में लगभग 190 तरह की महत्वपूर्ण दवाइयों का टोटा हो गया है।

रायपुर। सरकारी अस्पतालों में दवा की सप्लाई करने की जिम्मेदारी उठाने वाले छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विसेस कॉर्पोरेशन (सीजीएमएससी) के स्टॉक में लगभग 190 तरह की महत्वपूर्ण दवाइयों का टोटा हो गया है। इनमें अस्सी तरह की दवाओं की सप्लाई के लिए विभिन्न कंपनियों से किए गए रेट कांट्रेक्ट दिसंबर में एक्सपायर हो गए हैं। इन दवाओं का इंतजाम शीघ्र नहीं किया जाता है, तो आने वाले दिनों में अस्पताल आने वाले मरीजों को परेशानी उठानी पड़ सकती है। स्टॉक जीरो होने की प्रमुख वजह खरीदी के लिए नए टेंडर जारी नहीं करने के साथ पुराने टेंडरों को ओपन करने के बजाए पेंडिंग रखा जाना है। 

हरिभूमि ने सीजीएमएससी की वेबसाइट पर दो दिन पहले के रेट कांट्रेक्ट और टोटल अवेलेबल स्टॉक की रिपोर्ट का मिलान किया, तो उसमें शून्य स्टॉक वाली जरूरी दवाओं की सूची काफी लंबी थी। इनमें ऐसी एंटीबायोटिक, गैस्ट्रक, एंटी वायरल जैसी दवाएं भी शामिल हैं, जिनका सरकारी अस्पतालों में लगभग हर दूसरे मरीजों को जरूरत पड़ती है। दवा कार्पोरेशन से जुड़े सूत्रों के अनुसार स्टॉक में टोटा होने की मुख्य वजह काफी समय से इन दवाओं की खरीदी नहीं होना है। करीब अस्सी तरह की दवाओं का आरसी दिसंबर में एक्सपायर हो चुका है और आने वाले समय में अन्य कई दवाओं की निर्धारित दर पर खरीदी का करार भी समाप्त हो जाएगा। सूत्रों का कहना है कि अगर शीघ्र खरीदी प्रक्रिया पूरी कर इन दवाओं को पुनः स्टोर नहीं किया गया, तो इसका सीधा असर अस्पतालों के दवा वितरण पर पड़ेगा। दूरदराज से इलाज के लिए आने वाले मरीजों को जरूरी दवाएं भी खरीदनी पड़ेंगी। 

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यह होता है आरसी

रेट कांट्रेक्ट या अनुबंध दर के आधार पर सीजीएमएससी सप्लायर एजेंसी से एक करार करती है। इसमें एक निश्चित अवधि तक तय कीमत और नियमों के मुताबिक संबंधित दवाओं अथ वा उपकरणों की आपूर्ति की जाती है। इस अनुबंध दर को सामान्य तौर पर आरसी कहा जाता है। जिन 80 तरह की आवश्यक दवाओं के लिए वर्ष 2022 में विभिन्न सप्लायर एजेंसी से अनुबंध हुआ था, वह अब समाप्त हो चुका है।

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