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सरकारी विभागों में विभागीय जांच के मामले बरसों बरस चलते रहते हैं। इसकी वजह से निलंबन की अवधि में शासकीय सेवक को वेतन देना पड़ता है। 

रायपुर। राज्य सरकार ने आदेश जारी किया है कि किसी भी अधिकारी कर्मचारी के खिलाफ अगर विभागीय जांच शुरु की जाती है, तो उसे एक साल में पूरा किया जाना चाहिए। इसके साथ ही ये भी कहा गया है कि विभागीय सचिव समय-समय पर विभागीय जांच प्रकरणों की समीक्षा भी करते रहें। यह आदेश इसलिए जारी किया गया है कि सरकारी विभागों में विभागीय जांच के मामले बरसों बरस चलते रहते हैं। इसकी वजह से निलंबन की अवधि में शासकीय सेवक को वेतन देना पड़ता है और संबंधित अधिकारी कर्मचारी कोई काम भी नहीं करते हैं। छत्तीसगढ़ सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने इस संबंध में प्रदेश के सभी अपर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, सचिव, विशेष सचिव, के लिए आदेश जारी किया है। 

आदेश में कहा गया है कि,  शासन के ध्यान में यह आया है कि विभागीय जांच के मामलों को लेकर पूर्व में जारी आदेश का पालन समुचित रूप से नहीं किया जा रहा है। विभागीय जांच के प्रकरणों को एक वर्ष के अंदर पूरा करना आवश्यक है। लेकिन कई विभागों द्वारा विभागीय जांच एक साल में पूरी नहीं की जा रही है। ऐसे में आरोपी शासकीय सेवक कई वर्षों तक निलंबन में रहते हैं। विभागीय जांच समाप्त होने के बाद उन्हें बहाल किया जाता है। यदि आरोपी विभागीय जांच में निर्दोष साबित होता है तो शासन को उसके निलंबन काल का पूरा वेतन और भत्ता देना पड़ता है।

बिना कारण जांच में करते हैं देर

सरकारी आदेश में यह भी कहा गया है कि,  अनेक विभागों में विभागीय जांच के प्रकरण बिना यथोचित कारणों से अनावश्यक रूप से लंबे समय तक लंबित रहते हैं। इसकी वजह से शासन और शासकीय सेवक दोनों पक्षों को अनावश्यक कठिनाई का सामना करता पड़ता है। इसलिए यदि किसी प्रकरण में निर्धारित समय से अधिक विलंब किसी स्तर पर होता है तो यथोचित कारणों के न पाए जाने पर विलंब के संबंध में उत्तरदायित्व निर्धारित करते हुए संबंधित उत्तरदायी अधिकारियों- कर्मचारियों के विरुद्ध सक्षम अधिकारी द्वार अनुशासनात्मक कार्यवाही की जानी चाहिए।

विभागीय सचिवों को समीक्षा के निर्देश

राज्य शासन ने कहा है कि,  विभागीय जांच के प्रकरणों को समय सीमा में निपटाया जाना चाहिए। इसके साथ ही विभागीय सचिव को समय समय पर ऐसे जांच प्रकरणों की समीक्षा करना चाहिए। आदेश में यह भी याद दिलाया गया है कि विभागीय जांच प्रकरणों में विलंब की स्थिति को समाप्त करने के उद्देश्य से 10 मार्च 1997 में आदेश दिया गया था कि जांचकर्ता अधिकारी एवं प्रस्तुतकर्ता अधिकारियों की संविदा नियुक्ति सेवानिवृत्त अधिकारियों के पैनल से की जाए। राज्य सरकार ने सभी विभागों से कहा है कि वे अपने विभाग में एक साल से अधिक समय से लंबित प्रकरणों की जानकारी सामान्य प्रशासन विभाग को उपलब्ध कराएं।

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