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18 अगस्त को सतनामी समाज द्वारा गुरु बालक दास जयंती पर सात श्वेत ध्वज वाहक ने नेतृत्व में संत समाज द्वारा अखाड़ा व धुमाल पार्टी के साथ शोभायात्रा निकाला गया।

रायपुर। गुरु अमर दास दर्शन मेला के पास स्थित बहना काड़ी में 18 अगस्त को सतनामी समाज द्वारा गुरु बालक दास जयंती पर सात श्वेत ध्वज वाहक ने नेतृत्व में संत समाज द्वारा अखाड़ा व धुमाल पार्टी के साथ शोभायात्रा निकाला गया। जो जयस्तंभ चौक से होकर धूमाल और अखाड़ा के साथ पूरा गांव बस्ती का भ्रमण किया। जहां जगह- जगह चौक चौराहे पर गुरु बालक दास के चलित छाया चित्र का पूजा अर्चना किया और श्वेत ध्वज वाहक संतों को पुष्पमाला और श्रीफल से भेट कर आशिर्वाद लिए। वहीं सतनामी समाज के शोभायात्रा समाज के आस्था का केंद्र जैतखाभ चौक पर पहुंचे। जहां गुरु बालक दास की पूजा अर्चना कर प्रसाद वितरण कर गुरु बालक दास जयंती मनाया गया।

वहीं समाज के युवाओं द्वारा गांव के बुजुर्गों का सम्मान समारोह का आयोजन किया। जिससे मुख्य अतिथि दिनेश्वरी यशवंत टंडन जनपद सदस्य आरंग, विशिष्ट अतिथि विजय डहरिया व्याख्याता, डॉक्टर सीएल रात्रे उपस्थित हुए। जहां आयोजक समिति द्वारा सभी अतिथियों का पुष्पा माला से स्वागत किया और साथ ही गांव के बुजुर्गों का शॉल श्रीफल भेट कर सम्मानित किया। उसके बाद मुख्य अतिथि दीनेश्वरी यशवंत टंडन को उद्बोधन के लिए आमंत्रित किया। जहां गुरु बालक दास की जीवनी पर प्रकाश डाले। और महिलाओं को सामाजिक व राजनीति में अब बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने के लिए प्रेरित किया। 

विधवा विवाह का किया समर्थक : रात्रे

साहित्यकार सीएल रात्रे ने गुरु बालक दास के संघषों के बारे में बताया कि गुरु बालक दास महिलाओं को सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने के लिए सती प्रथा का विरोध किया साथ ही विधवा विवाह के समर्थक किया। वहीं सतनामी समाज को आत्मनिर्भर बनाने अठगांव संगठन का निर्माण किया। जिसके संचालन के लिए राज महंत गांव में मंडारी साटीदार की नियुक्ती किया। और गांव गांव लोगों को अपने स्वाभिमान की लड़ाई और आत्मनिर्भर बनाने के लिए अखाड़ा सिखाया गया। जिससे प्रभावित होगा। दूसरे समाज के लोग भी सतनामी समाज और सतनाम धर्म में जुड़े। वहीं गुरु बालक दास स्वतंत्रता संवााम में शहीद वीर नारायण सिंह के साथ शामिल हुए। जहां दोनों के बीच अच्छा मित्रता थी। जिससे अंग्रेज लोग कांपने और शहीद वीर नारायण सिंह को रायपुर के जय स्तंभ चौक में तोप से उड़ा दिया गया और वही गुरु बालक दास को छलपूर्वक मराठों के साथ मिलकर औरा बांधा के पास उसकी हत्या कर दी गई।

 

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