रायपुर। छत्तीसगढ़ में महिला बाल विकास विभाग में काम करने वाली पर्यवेक्षकों का सब्र टूट गया है। पिछले 30 सालों से वेतन विसंगति दूर होने का इंतजार करते-करते न जाने कितनी ही पर्यवेक्षकें सेवानिवृत्त हो गई। सरकारें बदल गईं लेकिन इनकी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। इससे नाराज महिला पर्यवेक्षकों ने अब संघर्ष का ऐलान कर दिया है। 3 सितंबर को प्रदेशभर की पर्यवेक्षक नवा रायपुर में प्रदर्शन करेंगी। संघ की प्रांताध्यक्ष ऋतु परिहार ने बताया कि, संघ की सभी सदस्य अवकाश लेकर 3 सितंबर को आंदोलन में शामिल होंगी।
महिला पर्यवेक्षकों का आरोप है कि, प्रदेश में विष्णु का सुशासन और महिला समानता की बात बेमानी है। जब प्रदेश की लगबग 70 लाख महिलाओं को महत्वाकांक्षी योजना महतारी वंदन योजना से एक माह में लाभान्वित करने वाली जुझारू महिलाएं जिन्होंने दिन और रात एक एक कर इस काम को पूरा किया। इन महिलाओं ने प्रदेश की आधी आबादी के आर्थिक, सामाजिक सशक्तिकरण के लिए सतत प्रयास करने वाली पर्यवेक्षकों को न्याय नहीं मिल रहा है।
महिला होने के कारण हो रही असमानता
ये 1866 पर्यवेक्षक भी महिलाएं ही हैं जो समानता का हक दूसरों को दिलाते हुए भी खुद शोषित हो रही हैं। पर्यवेक्षक का पद तृतीय श्रेणी कार्यपालिक का पद है सभी विभागों में यह पद 4200 ग्रेड पे पर लेवल 8 में है। लेकिन महिला बाल विकास में 2400 ग्रेड पे पर लेवल 6 में है। विडंबना है कि, सिर्फ महिला होने के कारण किसी ने भी इनके सम्मान और हित के लिए नहीं सोचा। पांचवे वेतनमान से न इनका वेतन पुनरीक्षित हुआ और न ही कोई सुधार। कदम-कदम पर इनके साथ अन्याय हो रहा है।
3 सितंबर को एक दिवसीय प्रदेशस्तरीय हल्ला बोल प्रदर्शन
काम में निरंतर बढ़ोत्तरी के साथ अन्य विभागों के भी कार्यों के निष्पादन में पर्यवेक्षकों की महती भूमिका रहती है। पर्यवेक्षकों के संघ के अथक प्रयासों से विभाग ने फाइल तो भेजी है लेकिन आज तक कोई फैसला नहीं आया है। राखी के अवसर पर महिला पर्यवेक्षकों ने सीएम विष्णुदेव साय और विभागीय मंत्री लक्ष्मी रजवाड़े से राखी बांध कर अपनी वेतन विसंगति दूर करने का उपहार मांगा है।
अब 3 सितंबर को एक दिवसीय प्रदेशस्तरीय हल्ला बोल प्रदर्शन तूता राजधानी रायपुर में किया जाएगा। अब यह लड़ाई आर या पार की होगी। पर्यवेक्षक अब वजन त्योहार, पोषण माह का भी बहिष्कार करेंगे।